कागजातों के रख-रखाव, अमल दरामद में गड़बड़ी करना चकबंदी विभाग को महंगा पड़ गया है। प्रदेश सरकार ने इसे भ्रष्टाचार मानते हुए चकबंदी विभाग के 33 अधिकारियों व कर्मचारियों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश दिया है। इनमें 11 चकबंदी अधिकारी और 9 चकबंदी लेखपाल आरोपी हैं। एक शिकायत की जांच के बाद चकबंदी आयुक्त ने डीएम व जिला उप संचालक चकबंदी को कार्रवाई का निर्देश दिया है। इसकी जानकारी के बाद से विभाग में खलबली मची हुई है।
सांसद वीरेन्द्र सिंह मस्त के साथ ही दोकटी थाना क्षेत्र के दलनछपरा निवासी सुशील पांडेय ने चकबंदी आयुक्त को शिकायती पत्र दिया था। इसकी जांच को बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी मुख्यालय मातादीन मौर्य व चकबंदी अधिकारी मुख्यालय अखिलेश कुमार की दो सदस्यीय टीम गठित किया गया। शिकायत में दलनछपरा गांव में कूटरचित आदेशों के माध्यम से अनियमितता तथा एक जमीन को मतरुक दिखाकर नवीन परती में करते हुए चकबंदी अधिकारी के फर्जी आदेश किसी अन्य का नाम अंकित करने की बात कही गयी थी। जांच में पता चला कि दलनछपरा 1987 में चकबंदी क्रियाओं में आया और 1999 में कब्जा परिवर्तन की कार्रवाई की गई।
चक निगरानियों की सुनवाई भी 2000 में पूरी हो गयी। आदेश में कहा गयाा है कि अंतिम अधिकार अभिलेख बनाने में विधिक बाधा नहीं होने के बावजूद 2000 से 2023 तक करीब 23 साल का समय बीत जाने के बाद भी धारा 52 की कार्रवाई नहीं करना आपत्तिजनक है। इसके लिए सभी अधिकारी व लेखपाल दोषी हैं। इस बावत अपर निदेशक चकबंदी तरूण कुमार मिश्र ने बताया कि चकबंदी आयुक्त के आदेश पर मुकदमा दर्ज करने के लिए पत्र जारी किया गया है।
11 चकबंदी अधिकारी, नौ चकबंदी लेखपाल आरोपी
जिन लोगों पर मुकदमा दर्ज करने का आदेश हुआ है उनमें तत्कालीन 11 चकबंदी अधिकारी ओंकार नाथ, अवधेश कुमार, राजेश कुमार, कमलेश शर्मा, बरमेश्वर उपाध्याय, अमरेश चंद, विनय श्रीवास्तव, उमाशंकर, प्रभात कुमार पांडेय, शिवशंकर प्रसाद सिंह व वर्तमान में तैनात उमाशंकर शामिल हैं। इनके अलावा बंदोबस्त अधिकारी चकबंदी राधेश्याम सिंह, दयानंद सिंह चौहान, धनराज यादव व अनिल कुमार, सहायक चकबंदी अधिकारी पुल्ली राम, हरिशंकर यादव, ओमप्रकाश श्रीवास्तव तथा वर्तमान में तैनात जयदेव, चकबंदीकर्ता जुगेश लाल, संतराम, राजेश कुमार व केदारनाथ सिंह तथा चकबंदी लेखपाल राजेश पुत्र रामनिहोरा, राजेश पुत्र रामनाथ, शशिकांत, सुरेंद्र चौहान, अनिल गुप्ता, आयुष सिंह, लल्लन यादव, अवितेश उपाध्याय व कन्हैया लाल शामिल हैं।