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फ्लैट विवाद में फंसी भाजपा नेत्री शालिनी यादव बोलीं— यह एक राजनीतिक साजिश, मैं कभी उस फ्लैट की मालकिन नहीं रही

भाजपा नेत्री शालिनी यादव ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर स्पष्ट किया कि जिस फ्लैट को लेकर उन्हें निशाने पर लिया जा रहा है, उसका उनसे कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि पिछले दो दिनों से सोशल मीडिया पर उनके नाम को जोड़कर झूठी और भ्रामक खबरें फैलाई जा रही हैं, जबकि वे न तो उस फ्लैट की मालिक रही हैं और न ही सह-मालकिन। उनका कहना है कि विपक्षी दल जानबूझकर तथ्यों को तोड़-मरोड़कर पेश कर रहे हैं ताकि उनकी छवि धूमिल की जा सके। शालिनी यादव ने इसे एक “सोची-समझी राजनीतिक साजिश” बताया, जिसमें सोशल मीडिया ट्रॉल्स से लेकर विपक्ष के वरिष्ठ पदाधिकारी तक शामिल बताए जा रहे हैं।

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प्रेस कॉन्फ्रेंस में शालिनी यादव ने कहा कि सोशल मीडिया पर यह प्रचारित किया गया कि उनके नाम से जुड़े फ्लैट में देह व्यापार पकड़ा गया और वहां से 13 लोगों की गिरफ्तारी हुई। उन्होंने इसे पूरी तरह झूठा बताते हुए कहा कि वास्तविक पुलिस रिपोर्ट में केवल तीन महिलाओं को पूछताछ के लिए थाने ले जाने की बात दर्ज है, जिन्हें बाद में सिगरा थाने से छोड़ दिया गया। उन्होंने कहा कि अन्य 10 लोगों की गिरफ्तारी किसी और स्थान—मेलोडी स्पा—से की गई थी, फिर भी कोशिश की गई कि सारी घटनाओं को उनके नाम से जोड़कर पेश किया जाए।

उधर, शालिनी यादव के पति अरुण यादव ने भी प्रेस वार्ता में घटनाक्रम का विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि शक्ति शिखा बिल्डिंग में स्थित फ्लैट नंबर 112 उनके नाम 1999 से दर्ज है और वे इसे वर्षों से किराए पर दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि 1 अप्रैल 2025 से यह फ्लैट अश्वनी त्रिपाठी नामक व्यक्ति को विधिवत एग्रीमेंट और नोटरी प्रक्रिया के बाद किराए पर दिया गया। अरुण यादव ने दावा किया कि पूरी पुलिस कार्रवाई में न तो उनका नाम एफआईआर में शामिल है और न ही फ्लैट स्वामी को किसी भी प्रकार का आरोपी बताया गया है। बावजूद इसके, सोशल मीडिया पर यह गलत सूचना फैलाई गई कि 13 लोगों की गिरफ्तारी उनके ही फ्लैट से हुई।

अरुण यादव ने यह भी स्पष्ट किया कि मेलोडी स्पा—जहाँ से 10 लोगों की गिरफ्तारी दिखाई गई थी—का उनसे या उनके किसी परिचित से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने कहा कि वास्तविक स्थिति यह है कि उनके किराएदार के फ्लैट से केवल तीन महिलाओं को थाने ले जाया गया था, जिनके साथ भी किसी तरह की अवैधानिक बरामदगी या गंभीर आरोप सामने नहीं आए। इसके बावजूद उनके परिवार का नाम जोड़कर भ्रामक खबरें प्रसारित की गईं, जो उनके अनुसार “दुर्भावनापूर्ण” हैं।

शालिनी यादव ने कहा कि वे एक ऐसे परिवार से आती हैं जिसका राजनीतिक व सामाजिक योगदान देशभर में सम्मानित रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह के निराधार आरोप न केवल उनकी छवि को नुकसान पहुंचाते हैं, बल्कि यह महिलाओं के खिलाफ होने वाले चरित्रहनन की आपत्तिजनक प्रवृत्ति को भी बढ़ावा देते हैं। उन्होंने बताया कि उनके लीगल सहयोगी सोशल मीडिया और समाचार माध्यमों में फैलाई गई सभी भ्रामक पोस्टों और खबरों की समीक्षा कर रहे हैं, ताकि संबंधित व्यक्तियों के खिलाफ मानहानि और आईपीसी की धाराओं में कानूनी कार्रवाई की जा सके। उनका कहना है कि ऐसा कदम इसलिए भी आवश्यक है ताकि भविष्य में किसी निर्दोष व्यक्ति—विशेषकर महिलाओं—को बिना तथ्य जांचे बदनाम न किया जा सके।

दोनों नेत्री और उनके पति ने संयुक्त रूप से कहा कि वे इस पूरे मामले को कानूनी रूप से आगे बढ़ाएंगे, ताकि साजिशन फैलाए गए दुष्प्रचार का सत्य सामने आ सके। उन्होंने जनता और मीडिया से भी अपील की कि वे बिना प्रमाणित तथ्यों के किसी भी सूचना पर यकीन न करें और जिम्मेदारी के साथ खबरों का प्रचार-प्रसार करें।

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