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भवानी दयानी महाकाली: माँ के करुणा और शक्ति की स्तुति

भवानी दयानी महाकाली
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“भवानी दयानी महाकाली” एक ऐसा भजन है जो माँ दुर्गा के तीन प्रमुख रूपों—भवानी (पालक), दयानी (करुणामयी), और महाकाली (विनाशिनी) की महिमा का गुणगान करता है। यह भजन न केवल भक्तों के मन में माँ के प्रति भक्ति और श्रद्धा को गहराता है, बल्कि उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सुरक्षा और मानसिक शांति भी भर देता है। इस लेख में हम इस भजन के पाठ की विधि, इसके लाभ और भक्ति भाव से जुड़े गूढ़ रहस्यों को साझा करेंगे।

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Bhavani Dayani


शम्भू की प्यारी, गिरिराज की दुलारी,
गिरिजग गबग गबग गबग गरुड़ गौर वाली,
तू घंटा घहराहके घुमाके कूद घंटावाली,
करत निहाल खुशहाल फड़ वाली तू


दमक दमक दामिनी सी, चमक चला के चंडी,
डपट के दरिद्रमार दौड़-दौड़ आली तू,
शान वाली शूल वाली त्रिशूल वाली खड़ग वाली,
काली तू मां.. काली तू मां.. काली..


भवानी..दयानी..
भवानी..दयानी..
दैत्य दल विनाशनी जग उद्धारिणी,
भवानी..दयानी..
भवानी..दयानी…

आदिविद्या हे स्वरूपिणी,
आदिविद्या हो तुम ही,
आदिशक्ति हो तुम ही


महालक्ष्मी रूप तुम, तुम ही जग की माता,
सारे जगत की तुम हो कर्म फल प्रदाता,
तुम तो महादेव की हो अर्धरूपिणी…

भवानी..दयानी..
भवानी..दयानी..
भवानी..दयानी..
भवानी..दयानी..

ब्रह्माजी करें वंदन, हरी नारायण शिव अर्चन,
सुरनर मुनि गंधर्व पूजत सब ज्ञानी,
ऋषियों मनीषियों ने महिमा बखानी,
खड़ग भाल धारिणी मां पाप तारिणी…

भवानी..दयानी..
भवानी..दयानी..
हे तुम तो महादेव की हो अर्धरूपिणी,


भवानी..दयानी..
भवानी..दयानी..
सिंह की सवारिणी त्रिशूल धारिणी,


भवानी..दयानी..
भवानी..दयानी..
भवानी..दयानी..
भवानी..दयानी..

“भवानी दयानी महाकाली” भजन केवल एक स्तुति नहीं, बल्कि माँ के तीन रूपों के अद्भुत संगम का अनुभव है। जो भक्त सच्चे मन से इसका पाठ करते हैं, उन्हें माँ की कृपा से जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं से मुक्ति और आनंद की प्राप्ति होती है। यदि आपको यह भजन भावपूर्ण और शक्तिशाली लगे, तो माँ दुर्गा के अन्य चमत्कारी भजनों जैसे “जय अम्बे गौरी”, “काली माता का दरबार”, “दुर्गे दुर्गटिनाशिनी”, और “ओ माँ शेरावाली” को भी अवश्य पढ़ें और अपने भक्ति मार्ग को और सशक्त बनाएं।

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पाठ की विधि

  • प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • घर के पूजा स्थान को साफ करें और दीपक जलाएं।
  • माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र के सामने लाल फूल और चंदन अर्पित करें।
  • शांत चित्त से बैठकर एक बार “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे” मंत्र का जाप करें।
  • फिर पूरे श्रद्धा से “भवानी दयानी महाकाली” भजन का पाठ करें।
  • पाठ के बाद आरती करें और माँ से अपने कष्ट दूर करने की प्रार्थना करें।

लाभ

  1. मानसिक शांति – यह भजन मन को शांत करता है और नकारात्मक विचारों को दूर करता है।
  2. भय से मुक्ति – माँ महाकाली के स्मरण से भय और अनिष्ट शक्तियों का नाश होता है।
  3. धन-समृद्धि की प्राप्ति – माँ भवानी की कृपा से जीवन में लक्ष्मी का आगमन होता है।
  4. कष्टों का निवारण – माँ दयानी की करुणा से जीवन की परेशानियाँ दूर होती हैं।
  5. शक्ति और आत्मबल – यह भजन जीवन में साहस और आत्मविश्वास भरता है।
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Aditya