भारत तकनीकी क्षेत्र में एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर रहा है। 6G नेटवर्क को 2030 तक लॉन्च करने की योजना है। इस पर आईआईटी-बीएचयू में गहन शोध चल रहा है। भारत 6G के डायरेक्टर जनरल राजेश कुमार पाठक ने इस प्रोजेक्ट से जुड़ी कई अहम जानकारियां साझा की हैं।
आईआईटी-बीएचयू में हो रही रिसर्च
6G तकनीक पर काम करने के लिए भारत के प्रमुख संस्थानों में से एक आईआईटी-बीएचयू में विशेषज्ञों द्वारा रिसर्च किया जा रहा है। यह तकनीक न केवल इंटरनेट की स्पीड को बढ़ाएगी, बल्कि इसकी संरचना भी पूरी तरह से नई होगी।
5G से 100 गुना तेज होगी 6G स्पीड
राजेश कुमार पाठक ने बताया कि 6G नेटवर्क की स्पीड 5G से 100 गुना तेज होगी। यह न केवल डेटा ट्रांसफर को अधिक तेज बनाएगा, बल्कि वर्चुअल रियलिटी (VR) और ऑगमेंटेड रियलिटी (AR) जैसी उन्नत तकनीकों को भी सहज बनाएगा।
रोड-लाइट सेंसर पर आधारित नेटवर्क
6G नेटवर्क की सबसे खास बात यह होगी कि इसे स्थापित करने के लिए 5G जैसे बड़े टावरों की आवश्यकता नहीं होगी। इसके लिए रोड-लाइट्स और बिजली मीटर की तरह छोटे-छोटे सेंसर शेल्स का उपयोग किया जाएगा। ये सेंसर वजन में हल्के होंगे और इन्हें इलेक्ट्रिक पोल या अन्य सार्वजनिक स्थलों पर आसानी से लगाया जा सकेगा।
सेंसर का डिज़ाइन और कार्यक्षमता
इन सेंसर शेल्स का वजन केवल 8 किलोग्राम तक होगा। इन्हें इस तरह डिज़ाइन किया जाएगा कि यह शहरों और गांवों दोनों जगहों पर आसानी से कार्य कर सकें। इनका आकार और वजन छोटा होने के कारण यह पर्यावरण के अनुकूल और ऊर्जा की बचत करने वाले होंगे।
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए समाधान
6G तकनीक शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में समान रूप से प्रभावी होगी। छोटे और हल्के सेंसर होने के कारण इसे दूर-दराज के इलाकों में भी आसानी से स्थापित किया जा सकेगा। यह पहल डिजिटल इंडिया के सपने को साकार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
तकनीकी उन्नति में भारत का बड़ा कदम
6G नेटवर्क की तैयारी भारत को तकनीकी क्षेत्र में एक अग्रणी स्थान दिला सकती है। यह न केवल इंटरनेट स्पीड को बढ़ाने में सहायक होगी, बल्कि स्मार्ट सिटी और अन्य तकनीकी परियोजनाओं को भी नई ऊंचाईयों पर ले जाएगी।
उपयोगकर्ताओं के लिए फायदेमंद
6G तकनीक से न केवल स्पीड में सुधार होगा, बल्कि इंटरनेट की लागत भी कम हो सकती है। सेंसर आधारित नेटवर्क के कारण यह पारंपरिक नेटवर्क की तुलना में सस्ता और अधिक प्रभावी होगा।