भैरव बाबा, जिन्हें काल भैरव, बटुक भैरव और दण्डपाणि के नाम से भी जाना जाता है, शिवजी के रौद्र और न्यायकारी स्वरूप माने जाते हैं। इनकी आरती करने से न केवल डर, भूत-प्रेत बाधाओं से मुक्ति मिलती है, बल्कि जीवन में स्थिरता, सुरक्षा और आत्मबल भी प्राप्त होता है। यह लेख ‘भैरव बाबा की आरती’ को केंद्र में रखकर उसकी विधि, लाभ और महत्व को सरल और भक्तिभावपूर्ण शैली में प्रस्तुत करता है।
भैरव बाबा की आरती
देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं,
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं|,
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥1॥
भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं,
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं,
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥2॥
शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं,
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं,
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥3॥
भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं,
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं,
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥4॥
धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं,
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं,
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥5॥
रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं,
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं,
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥6॥
अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं,
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं,
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥7॥
भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥8॥
आरती की विधि
प्रातः या संध्या समय स्नान कर शुद्ध वस्त्र पहनें।
पूजा स्थान को साफ कर दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
भैरव बाबा की मूर्ति या चित्र के सामने आसन लगाकर बैठें।
पंचमेवा, गुड़, काले तिल, नारियल, सरसों का तेल आदि चढ़ाएं।
घंटी बजाते हुए श्रद्धा से आरती करें।
अंत में भैरव बाबा से कष्टों के निवारण और कल्याण की प्रार्थना करें।
भैरव बाबा की आरती के लाभ
भय और बाधा से रक्षा – जीवन में आने वाले डर, डरावने स्वप्न, नकारात्मक ऊर्जा और भूत-प्रेत बाधाओं से रक्षा मिलती है।
क़ानूनी मामलों में विजय – भैरव बाबा को न्यायप्रिय देवता माना जाता है, उनकी कृपा से कोर्ट-कचहरी जैसे मामलों में सफलता मिलती है।
रोज़गार और व्यवसाय में वृद्धि – व्यापारिक बाधाएं दूर होती हैं और आय के नए स्रोत खुलते हैं।
मानसिक शांति और बल – मन की बेचैनी, डर और असुरक्षा की भावना समाप्त होती है, आत्मविश्वास बढ़ता है।
शत्रु बाधा से मुक्ति – शत्रु से बचाव और उनके दुष्प्रभाव से सुरक्षा प्राप्त होती है।
निष्कर्ष
भैरव बाबा की आरती भक्तों के लिए एक ऐसा दिव्य माध्यम है जिससे वे अपने जीवन के तमाम कष्टों से मुक्ति पा सकते हैं। इस आरती में न केवल भक्ति का भाव समाहित है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक कवच का कार्य करती है। यदि आप जीवन में डर, बाधा, या नकारात्मकता का सामना कर रहे हैं, तो श्रद्धा से भैरव बाबा की आरती करें और उनके संरक्षण का अनुभव करें।