भैरव बाबा, जिन्हें काल भैरव के नाम से भी जाना जाता है, भगवान शिव का रौद्र और रक्षक रूप हैं। इनकी उपासना विशेष रूप से रात्रि के समय की जाती है और माना जाता है कि भैरव बाबा की आरती करने से डर, बाधाएं और नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इस लेख में हम “भैरव बाबा की आरती” का महत्व, आरती की विधि और इसके लाभ को सरल भाषा में समझाएंगे।
भैरव जी की आरती
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा…
जय काली और गौर देवी कृत सेवा,
॥जय भैरव देवा…॥
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक…
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक,
॥जय भैरव देवा…॥
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी…
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी,
॥जय भैरव देवा…॥
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे…
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे,
॥जय भैरव देवा…॥
तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी…
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी,
॥जय भैरव देवा…॥
पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत…
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत,
॥जय भैरव देवा…॥
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे…
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे,
॥जय भैरव देवा…॥
भैरव बाबा की आरती न केवल भक्तों के मन को शक्ति और साहस प्रदान करती है, बल्कि जीवन की हर बाधा को दूर करने का सामर्थ्य भी रखती है। जो भी भक्त श्रद्धा से इस आरती को करता है, वह भैरव बाबा की विशेष कृपा का पात्र बनता है। यदि आप भी जीवन में बल, बुद्धि और रक्षा की कामना करते हैं तो प्रतिदिन भैरव बाबा की आरती अवश्य करें।
भैरव बाबा की आरती की विधि
- प्रातः या संध्या काल में स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थान को स्वच्छ करके वहाँ भैरव बाबा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- सरसों का तेल या घी का दीपक जलाएं।
- भैरव बाबा को काले तिल, नारियल और मदिरा अर्पण करें (परंपरानुसार)।
- गुलाल, अबीर, और अगरबत्ती से पूजन करें।
- आरती आरंभ करें – घंटी और शंख के साथ।
- अंत में आरती उतार कर सभी उपस्थित लोगों को प्रसाद बांटें।
भैरव बाबा की आरती के लाभ
- भय और नकारात्मकता से मुक्ति – भैरव बाबा की आरती करने से भय, असुरक्षा और बुरी आत्माओं से रक्षा होती है।
- रोगों से राहत – भैरव बाबा के आशीर्वाद से मानसिक और शारीरिक रोगों से मुक्ति मिलती है।
- रोजगार और व्यवसाय में सफलता – व्यापार में रुकावट या नौकरी में बाधा हो तो आरती लाभकारी है।
- गृह शांति और सुरक्षा – घर में सुख-शांति बनी रहती है और चोरों-डाकुओं से रक्षा होती है।