बद्रीनाथ जी की आरती, हिंदू धर्म के पवित्र स्थलों में से एक बद्रीनाथ धाम में होने वाली एक खास धार्मिक क्रिया है, जो भगवान विष्णु के प्रति श्रद्धा और भक्ति का प्रतीक है। यह आरती श्रद्धालुओं के दिलों में एक गहरी आस्था और अध्यात्मिक शांति का अहसास कराती है। बद्रीनाथ जी की आरती का पाठ न केवल भक्तों को शांति और आशीर्वाद प्रदान करता है, बल्कि यह उन्हें भगवान विष्णु के चरणों में समर्पण की भावना भी जागृत करता है। यहाँ हर दिन लाखों श्रद्धालु इस आरती में सम्मिलित होकर, भगवान के समक्ष अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं।
बद्रीनाथ जी की आरती
पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम्,
निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
शेष सुमिरन करत निशदिन, धरत ध्यान महेश्वरम्,
वेद ब्रह्मा करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्वम्भरम्।
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥
शक्ति गौरी गणेश शारद, नारद मुनि उच्चारणम्,
जोग ध्यान अपार लीला, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥
इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर, धूप दीप प्रकाशितम्,
सिद्ध मुनिजन करत जय जय, बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥
यक्ष किन्नर करत कौतुक, ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम्,
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥
कैलाश में एक देव निरंजन, शैल शिखर महेश्वरम्,
राजयुधिष्ठिर करत स्तुति, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥
श्री बद्रजी के पंच रत्न, पढ्त पाप विनाशनम्,
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य, प्राप्यते फलदायकम्।
॥ पवन मंद सुगंध शीतल…॥
पवन मंद सुगंध शीतल, हेम मंदिर शोभितम्,
निकट गंगा बहत निर्मल, श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
॥ इति श्री बद्रीनाथ जी की आरती संपूर्णम्॥
बद्रीनाथ जी की आरती न केवल एक धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह हमारे जीवन के संघर्षों से उबरने और भगवान के साथ एक गहरे संबंध को जोड़ने का एक मार्ग भी है। जब हम इस आरती में भाग लेते हैं, तो हम भगवान विष्णु से आशीर्वाद प्राप्त करने के साथ-साथ अपने जीवन में सकारात्मकता और संतुलन को महसूस करते हैं। यह आरती हर श्रद्धालु को अपने दिल में शांति और भक्ति का अनुभव देती है, और हमें यह सिखाती है कि विश्वास और भक्ति के रास्ते पर चलकर हम जीवन में सच्चे सुख को पा सकते हैं।