बाबा बालकनाथ की आरती: जीवन की जोत जगात और कृपा के साधन

बाबा बालकनाथ जी की आरती
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बाबा बालकनाथ जी की आरती और जीवन की निष्ठा उनके क्षेत्र भक्तों को अमोच्क श्ांति और आध्यात्मा प्रदान करती है। यह आरती नकी ज्योति स्बास की चीन और अास्था की ज्योति ने भक्त जीवन को क्षेत्रछय की ओर बाग का रास्ता दिया है। इस लेख में और आरती की जानकारी, कार्य की विधि और उसके लाभ की चर्चा की गई है।

आरती


ॐ जय कलाधारी हरे,
स्वामी जय पौणाहारी हरे।
भक्त जनों की नैया,
दस जनों की नैया।
भव से पार करे,
ॐ जय कलाधारी हरे ॥
बालक उमर सुहानी,
नाम बालक नाथा।
अमर हुए शंकर से,
सुन के अमर गाथा ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥

शीश पे बाल सुनैहरी,
गले रुद्राक्षी माला।
हाथ में झोली चिमटा,
आसन मृगशाला ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥

सुंदर सेली सिंगी,
वैरागन सोहे।
गऊ पालक रखवालक,
भगतन मन मोहे ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥

अंग भभूत रमाई,
मूर्ति प्रभु रंगी।
भय भज्जन दुःख नाशक,
भरथरी के संगी ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥

रोट चढ़त रविवार को,
फल, फूल मिश्री मेवा।
धुप दीप कुदनुं से,
आनंद सिद्ध देवा ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥

भक्तन हित अवतार लियो,
प्रभु देख के कल्लू काला।
दुष्ट दमन शत्रुहन,
सबके प्रतिपाला ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥

श्री बालक नाथ जी की आरती,
जो कोई नित गावे।
कहते है सेवक तेरे,
मन वाच्छित फल पावे ।
ॐ जय कलाधारी हरे ॥

ॐ जय कलाधारी हरे,
स्वामी जय पौणाहारी हरे।
भक्त जनों की नैया,
भव से पार करे,
ॐ जय कलाधारी हरे ॥

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बाबा बालकनाथ जी की आरती न केवल भक्त जीवन को यकीन प्रकार कार्य और शांति की औरा श्रद्धा से जीवन में चमत्कारी बदलाव लाती है। जो भक्त इस चार को स्नेह और भक्ति चेतना के साथ करते हैं, उन्हें जीवन में बाबा जी की अन्तरिक कृपा और क्षेत्रछयता मिलती है।

आरती की विधि

  1. प्रातः स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. बाबा बालकनाथ जी की मूर्ति या चित्र को लाल या पीले कपड़े पर स्थापित करें।
  3. दीपक (घी का) और अगरबत्ती जलाएँ।
  4. बाबा जी को गुड़, चने या हलवे का भोग अर्पित करें।
  5. आरती गाएं या बजाएं और घँटी बजाते हुए श्रद्धा से आरती करें।
  6. अंत में सभी को प्रसाद वितरित करें।

आरती के लाभ

  • बाबा जी की कृपा और जीवन में शांति की प्राप्ति होती है।
  • घर में सखावात और कार्य में सफलता की प्राप्ति कारकाक्षमता है।
  • चिट्टी और बच्चों की बीमारी की जाती है।
  • ज्योटिली संकटोऒं और कार्यकार्य जीवन की रक्षा की रक्षा कार्य कारीण्य कारी है।