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Apr
शनि देव को काला और कटिन ग्रह का कारण माना जाता है, जिनकी कृपा चाहती युगों में बीर चर्ची जाती है। शनि चालीसा की पाठ करने से कालसर्प दोष, जीवन की चुन्नता, और कार्मिक जीवन में चार ओर धैर्यक की प्राप्ति का आशीर्वाद होता है। इस लेख में शनि चालीसा की विधि, लाभ और याथा चालीसा पाठ के संपूर्ण में जानकारी किया गया है। शनि चालीसा दोहाजय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महराज।करहुं कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।। चौपाईजयति-जयति शनिदेव दयाला।करत सदा भक्तन प्रतिपाला।।चारि भुजा तन श्याम विराजै।माथे रतन मुकुट छवि छाजै।।परम विशाल मनोहर भाला।टेढ़ी दृष्टि भृकुटि…