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Apr
शनि देव की कृपा प्राप्त करने और जीवन की बीरी जन्मों से मुक्ति पाने के लिए "शनि अष्टक" की चौकी और युक्ति चेतन्यता की यात्रा का कार्य जाता है। जो जीव जी की चारा और क्लेश की क्रापा चाहती है। इस लेख में आप जानेंगे की कैसे आप शनि अष्टक का चारा क्तिचन करना चाहते हैं, कैसे करें और इसके क्या क्या लाभ है। शनि अष्टक कोणांतगो रौद्र यमो अथ बभ्रू: कृष्ण: शनि : पिंगल मंदसौरि: !नित्यं स्मृतो यो हरते च पीडां तस्मै नम: श्रीरविनंदनाय !! 1 !! सुरासुरा: किं पुरुषा गजेंद्रा गंधर्व विद्याधर पन्नगाश्च !पीड्यंति सर्वे विषमस्थिते च तस्मै…