Ashu

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हनुमत बोले माता सुन लो सुन लो माँ तुम मेरी पुकार

हनुमत बोले माता सुन लो सुन लो माँ तुम मेरी पुकार

हनुमत बोले माता सुन लो यह पंक्ति भक्त के उस समर्पण की प्रतीक है, जब वह अपने आराध्य हनुमान जी से विनती करता है। माँ की करुणा और हनुमान जी की शक्ति का संगम भक्त के हृदय को गहराई से छूता है। इस पुकार में विश्वास भी है और आंसुओं से भरा अनुरोध भी। Hanumat Bole Mata Sun Lo Sun Lo Ma Tum Meri Pukar हनुमत बोले माता सुन लो सुन लो माँ तुम मेरी पुकार 2 याद वो करते तुमको माता यह दर्द प्रभु से ना सहा जाता एक बार मैया कर दो इशारा प्रभु करते ये इंतजार हनुमत…
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जब से आया तेरे बाबा सालासर धाम बन गए हैं ये मेरे बाबा सारे तो काम

जब से आया तेरे बाबा सालासर धाम बन गए हैं ये मेरे बाबा सारे तो काम

जब से आया तेरे बाबा सालासर धाम यह पंक्ति उस अनुभूति को व्यक्त करती है जब भक्त बालाजी महाराज की शरण में पहुँचकर जीवन के हर कष्ट को समाप्त होते देखता है। सालासर धाम की यह पावन भूमि भक्तों के विश्वास और चमत्कारों का प्रतीक है। यहाँ आने के बाद हर मनोकामना पूर्ण होती है और हर दुःख का अंत। Ab Se Aaya Tere Baaba Saalaasar Dhaam Ban Gae Hain Ye Mere Baaba Saare To Kaam जब से आया तेरे बाबा सालासर धाम बन गए हैं ये मेरे बाबा सारे तो काम सालासर में मुझको सहारा मिला ना कोई है…
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हनुमान जी छोटो सो हमारो एक काम जी

हनुमान जी छोटो सो हमारो एक काम जी

हनुमान जी छोटो सो हमारो एक काम जी यह पंक्ति उस निश्छल भक्ति को दर्शाती है जिसमें भक्त अपने आराध्य से छोटे-छोटे कार्यों के लिए भी विनती करता है। बालक की तरह मासूम भाव से किया गया यह निवेदन हनुमानजी की कृपा का साक्षी है। यह भाव हर उस भक्त के मन की पुकार है, जो मानता है कि बिना बजरंगबली के जीवन का कोई भी कार्य पूर्ण नहीं होता। Hanuman Ji Chhota Sa Hamara Ek Kam Ji हनुमान जी छोटो सो हमारो एक काम जी सुन अंजनी के लाला मेरी बिगड़ी बना दे बिगड़े हुए जी मेरे काम बना…
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राम के सेवक हैं जो , वो राम का ध्यान धरे भगतो की झोली ये , हनुमत ही तो भरे

राम के सेवक हैं जो , वो राम का ध्यान धरे भगतो की झोली ये , हनुमत ही तो भरे

राम के सेवक हैं जो, वो राम का ध्यान धरे यह पंक्ति भक्तिरस में डूबे हर हृदय की पुकार है। हनुमानजी की भक्ति में जो मन लगाता है, उसका जीवन श्रीराम के आशीषों से भर उठता है। यह पंक्ति हर भक्त को यह स्मरण कराती है कि प्रभु तक पहुँचने का सच्चा मार्ग उनके परम सेवक, पवनसुत हनुमानजी से होकर जाता है। Raam Ke Sevak Hain Jo , Vo Raam Ka Dhyaan Dhare Bhagato Kee Jholee Ye , Hanumat Hee To Bhare दोहा - पवन तने संकट हरन मंगल मुर्ति रुप राम लखन सीता सहित हदय बसहु सुर भूप तरज…
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सांवेर की धरती

सांवेर की धरती

सांवेर की धरती वह पावन स्थल है जहाँ भक्ति और आस्था की गंगा निरंतर बहती रहती है। यहाँ का वातावरण श्रीनाथजी की महिमा और श्यामसुंदर के दरबार की गरिमा से गूंजता है। भक्त जब इस पावन भूमि का स्मरण करते हैं तो उनके ह्रदय में श्रद्धा, शांति और प्रेम की अनोखी तरंगें जागृत होती हैं। Sanwer Ki Dharti सांवेर की धरती.... सांवेर की धरती हनुमत साजे, चले है इनकी मर्जी सांवेर की धरती पाताल में जाकर जब बजरंग, अहिरावन राज मिटाते है दिल बाग़ बाग़ हो जाता है, जब राम हृदय मुस्काते है सुन के पतन की आवाजे, सुन के…
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साडी गली आवे श्यामा, अँखियां विछाईंयां वे

साडी गली आवे श्यामा, अँखियां विछाईंयां वे

साडी गली आवे श्यामा, अँखियां विछाईंयां वे भजन उस गहरी तड़प और प्रतीक्षा का स्वर है जहाँ राधा-कृष्ण प्रेमियों का मन श्यामसुंदर के आने की राह देखता है। यह पंक्तियाँ हृदय की गहराइयों से निकली पुकार हैं, जो भक्ति और प्रेम दोनों का संगम कराती हैं। हर श्वास में श्याम के आने की आस और हर दृष्टि उनके दर्शन की राह तकती है। Sadi Gani Aave Shama,Akhiyan Vichniyan Ne तरज़-सपनों में आनें वाले सामनें तो आजा       साडी गली आवे श्यामा,अँखियां विछाईंयां वे, सईयां नहीं जांदियां ने,तेरीयां जुदाईयां वे साडी गली.... हर पल हर घड़ी,तेरीयां उड़ीकां ने    तुईयों दस पाईंयां कानूं,लम्बीयां…
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राधे तोहिं भूलूँ नहिं कभू पल आधे।

राधे तोहिं भूलूँ नहिं कभू पल आधे।

राधे तोहिं भूलूँ नहिं कभू पल आधे पंक्ति हर उस भक्त का हृदयस्पर्शी भाव है, जो श्री राधारानी के नाम में ही अपनी आत्मा का सुकून पाता है। यह भजन प्रेम, समर्पण और भक्ति की उस गहराई को दर्शाता है, जहाँ हर सांस राधे नाम से जुड़ जाती है और जीवन का हर पल उन्हीं के चरणों में समर्पित हो जाता है। Radhay Tohi Bhulu Nahi Kabu Pal Aadhe राधे तोहिं भूलूँ नहिं कभू पल आधे। मेरा सब कुछ तेरा दिया हुआ राधे। तन ले ले मन ले ले धन ले ले राधे। जनम जनम का भिखारी तोहिं का दे।…
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हमारे बृज़ के रखवाले,कन्हैया राधिका रानी

हमारे बृज़ के रखवाले,कन्हैया राधिका रानी

हमारे बृज़ के रखवाले, कन्हैया राधिका रानी भक्ति की वह पुकार है, जिसमें ब्रजवासियों का प्रेम और विश्वास झलकता है। यह पंक्ति हमें उस दिव्य जोड़ी की याद दिलाती है, जिन्होंने ब्रजभूमि को अपनी लीलाओं से पवित्र किया और भक्तों को प्रेम, भक्ति और आनंद से भर दिया। Hamare Braj Ke Rakhvare,Kanhiya Radhika Rani हमारे बृज़ के रखवाले,कन्हैया राधिका रानी मेरे नैनों के हैं तारे,कन्हैया राधिका रानी हमारे बृज़.... कहो प्यारे कहाँ जायें,भुलाकर अब शरण तेरी सहारे बे सहारों के,कन्हैया राधिका रानी हमारे बृज़ के रखवाले,कन्हैया राधिका रानी मेरे नैनों के हैं तारे,कन्हैया राधिका रानी हमारे बृज़.... मेरे हो तुम…
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हम देखे ढोटा नंद के

हम देखे ढोटा नंद के

हम देखे ढोटा नंद के यह पंक्ति ब्रजभूमि की उस अनुपम झांकी का चित्रण है, जहाँ नंदलाल की बाल लीलाएँ भक्तों के हृदय में जीवंत हो उठती हैं। यह केवल शब्द नहीं, बल्कि वह भाव है जो कान्हा की मुस्कान, उनकी नटखट अदाओं और ग्वाल-बालों के संग उनके हर्षित स्वरूप को सामने ले आता है। इस भजन की गूंज सुनते ही ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं गोपाल हमारे सम्मुख खड़े होकर प्रेम का आशीष बरसा रहे हों। Hum Dekhe Dhota Nand Ke हम देखे ढोटा नंद के। हौं सखि ! हैं अवतार सुन्यो अस, ब्रह्म सच्चिदानंद के। भई लटू…
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हर्यो सखि मो मन मोहन-लाल

हर्यो सखि मो मन मोहन-लाल

हर्यो सखि मो मन मोहन-लाल यह भक्ति-रस से भरी पंक्ति ह्रदय को कृष्ण-प्रेम की गहराइयों में ले जाती है। इसमें गोपियों का वह भाव है जहाँ वे अपने प्रियतम श्यामसुंदर को पुकारती हैं और उनके आकर्षण में बंधकर संसार से विरक्त हो जाती हैं। यह वाक्यांश मन को मोह लेने वाले श्रीकृष्ण की उस छवि को सजीव करता है, जिसमें प्रेम, माधुर्य और आत्मिक समर्पण की पूर्णता दिखाई देती है। Haryo Sakhi Mo Man-Mohan Laal र्यो सखि, मो मन मोहन-लाल। हौं यमुना-तट गई भरन घट, पनघट मिल्यो गुपाल। सुघर सलोना, नंदडुठोना, टोना किय ततकाल। परी ठगोरी, रति-रस बोरी, भोरी हौं…
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