दीपावली के दूसरे दिन, आज काशी में अन्नकूट महोत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस अवसर पर शहर के सभी प्रमुख मंदिरों में भगवान के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए विभिन्न प्रकार की मिठाइयों और व्यंजनों से मंदिरों की अद्भुत झांकियाँ सजाई जाती हैं। विशेष रूप से बेसन के लड्डू और अन्य मिठाइयों का प्रयोग किया जाता है। काशी के लोग इसे दीपावली उत्सव के बाद भगवान के प्रति श्रद्धा का एक रूप मानते हैं, जिसमें अन्नकूट के भोग के रूप में रोटी, सब्जी, पूड़ी और कचौड़ी जैसे विभिन्न व्यंजन भगवान को अर्पित किए जाते हैं। साल में केवल अन्नकूट महोत्सव के दिन ही इस प्रकार का भोग लगाया जाता है।
अन्नपूर्णा मंदिर में विशेष अन्नकूट
अन्नपूर्णा मंदिर में इस महोत्सव के लिए विशेष तैयारियाँ की गई हैं। महंत शंकर पुरी के अनुसार, इस वर्ष अन्नपूर्णा मंदिर में अन्नकूट के भोग की मात्रा बढ़ाई गई है। माँ अन्नपूर्णा का भोग बनाने के लिए लगभग 511 क्विंटल कच्चे और पके हुए व्यंजनों का आयोजन किया गया है। यह प्रसाद देशभर के भक्तों तक पहुँचाने का भी प्रबंध किया गया है। तीन नवंबर को महंत तिरुपति बालाजी के लिए माँ अन्नपूर्णा का प्रसाद लेकर रवाना होंगे ताकि देशभर के भक्त इस प्रसाद का लाभ उठा सकें।
अन्य प्रमुख मंदिरों में भी भव्य आयोजन
अन्नपूर्णा मंदिर के साथ-साथ, काशी के अन्य मंदिरों में भी अन्नकूट महोत्सव को भव्य रूप से मनाया जा रहा है। दुर्गा मंदिर में 100 क्विंटल, काशी विश्वनाथ मंदिर में 21 क्विंटल, और राम मंदिर एवं गोपाल मंदिर में 51-51 क्विंटल भोग अर्पित किया जा रहा है। कालभैरव, बटुक भैरव और श्रीकृष्ण मंदिर में भी 21-21 क्विंटल का भोग चढ़ाया जाएगा। इस आयोजन में शहर के छोटे-बड़े सभी मंदिर शामिल हैं, जिससे कुल मिलाकर लगभग 1000 क्विंटल भोग का आयोजन किया गया है।
अन्नकूट का महत्व और भक्तों में उत्साह
अन्नकूट महोत्सव का आयोजन काशी के भक्तों के लिए विशेष महत्व रखता है। दीपावली के बाद, यह दिन भगवान को भोजन अर्पित कर उनकी कृपा प्राप्त करने का एक अनूठा अवसर होता है। इस दिन मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है और सभी भक्त इस पवित्र प्रसाद को पाने के लिए अत्यंत उत्साहित रहते हैं। मंदिर प्रशासन द्वारा सजाई गई झांकियाँ अत्यंत आकर्षक होती हैं और लोगों में भक्ति भाव बढ़ाने का कार्य करती हैं।
इस प्रकार, काशी में मनाया जा रहा अन्नकूट महोत्सव न केवल भक्तों को भगवान के प्रति श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है, बल्कि पूरे शहर में भक्ति और आस्था का माहौल बना देता है।