सुप्रीम कोर्ट और अन्य न्यायालयों ने कई बार दहेज प्रताड़ना कानून, यानी धारा 498A के दुरुपयोग पर चिंता जताई है। अदालतों का कहना है कि इस कानून में सुधार की आवश्यकता है, ताकि इसके गलत इस्तेमाल को रोका जा सके। हाल ही में इस मुद्दे पर एक और मामला सामने आया, जिसमें एक व्यक्ति ने अपनी पत्नी पर दहेज प्रताड़ना का आरोप लगाया था, जिसके बाद सोशल मीडिया पर इस कानून की समीक्षा की मांग जोर पकड़ने लगी है।
अतुल सुभाष का वायरल वीडियो और दहेज कानून की आलोचना
सोमवार को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जो एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) इंजीनियर अतुल सुभाष का था। वीडियो में उन्होंने अपनी पत्नी और ससुराल वालों द्वारा किए गए दहेज प्रताड़ना के आरोपों पर प्रतिक्रिया दी। उन्होंने यह आरोप लगाया कि उनके परिवार वाले उनके पैसे से उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पत्नी उन्हें अपने बेटे से मिलने नहीं देती और फोन पर भी बात नहीं करने देती। इस वीडियो के बाद, लोग दहेज कानून के दुरुपयोग की बात करने लगे और इस कानून की समीक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया।
सुप्रीम कोर्ट का दहेज प्रताड़ना कानून के दुरुपयोग पर चिंता
वीडियो के वायरल होने के बाद उसी दिन सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम निर्णय सुनाया। जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने वैवाहिक विवादों में पति और उसके परिवार वालों के खिलाफ धारा 498A का दुरुपयोग बढ़ने पर गंभीर चिंता जताई। अदालत ने कहा कि यह कानून अब पत्नी और उसके परिवार के लिए हिसाब बराबर करने का एक हथियार बन गया है। सुप्रीम कोर्ट ने तेलंगाना के एक मामले में भी इस मुद्दे पर टिप्पणी की, जिसमें एक पति ने अपनी पत्नी से तलाक लेने की कोशिश की थी और उसके बाद पत्नी ने दहेज प्रताड़ना का केस दर्ज कर दिया था।
न्यायिक समीक्षा की आवश्यकता
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस कानून का दुरुपयोग हो रहा है और इसे फिर से समीक्षा करने की आवश्यकता है। अदालत ने यह भी कहा कि कानून में आवश्यक सुधार किए जाने चाहिए, ताकि इसका दुरुपयोग रोका जा सके। मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट के एक फैसले को खारिज करते हुए कहा था कि दहेज प्रताड़ना कानून के तहत दर्ज किए गए मामलों की समीक्षा की जानी चाहिए, खासतौर पर जब आरोपों की विश्वसनीयता संदिग्ध हो।
दहेज प्रताड़ना कानून: उद्देश्य और चुनौती
भारतीय दंड संहिता की धारा 498A का मुख्य उद्देश्य महिलाओं को दहेज की मांग और क्रूरता से बचाना है। यह कानून महिलाओं के खिलाफ दहेज की मांग या मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना के मामलों में उनके पति और रिश्तेदारों के खिलाफ कार्रवाई की अनुमति देता है। हालांकि, यह मामला गंभीर है क्योंकि यह गैर-जमानती अपराध है और इसमें दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की सजा हो सकती है। ऐसे में अगर यह कानून दुरुपयोग का शिकार होता है, तो निर्दोष लोगों के जीवन पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
कानून के दुरुपयोग से बचाव के लिए आवश्यक कदम
धारा 498A के दुरुपयोग को रोकने के लिए अदालतों ने समय-समय पर कानून में सुधार की आवश्यकता जताई है। अदालतों का कहना है कि महिलाओं की सुरक्षा और दुरुपयोग की रोकथाम के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है। इस कानून के दुरुपयोग को रोकने के लिए न्यायिक सतर्कता और विधायी सुधार की आवश्यकता है। सुप्रीम कोर्ट और अन्य अदालतें यह स्पष्ट कर चुकी हैं कि इस कानून का दुरुपयोग नहीं होना चाहिए, क्योंकि इससे न केवल परिवारों के बीच तनाव बढ़ता है, बल्कि समाज में गलत संदेश भी जाता है।
निष्कर्ष: सुधार की दिशा
दहेज प्रताड़ना कानून में सुधार की आवश्यकता महसूस की जा रही है, ताकि इसका दुरुपयोग रोका जा सके और यह केवल महिलाओं की सुरक्षा के लिए एक प्रभावी हथियार बने। अदालतों का कहना है कि इस कानून के तहत मामलों की सटीकता से जांच होनी चाहिए और किसी भी तरह के व्यक्तिगत बदले की भावना से मामलों को दर्ज करने से बचना चाहिए। यह समय है कि संसद और न्यायपालिका मिलकर इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करें और एक मजबूत समाधान निकाले।