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राघवेंद्र सरकार ने राजाधिराज के रूप में भक्तों को दिया दर्शन, गूंज उठी राजा रामचंद्र की जय-जयकार

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वाराणसी। मानसरोवर तीर्थ क्षेत्र स्थित श्री राम तारक आंध्र आश्रम में गुरुवार को प्रभु श्रीराम का पट्टाभिषेक हुआ। सागर व पवित्र नदियों के जल से राज्याभिषेक का अनुष्ठान पूर्ण किया गया है। इसके बाद वेद मंत्रों से राजा राम के सिंहासन को यंत्र सिद्ध किया गया। वहीं राज श्रृंगार के बाद प्रभु को अष्टधातु से निर्मित सिंहासन पर आरूढ़ कराया गया। इस दौरान राघवेंद्र सरकार का राजाधिराज के रूप में दर्शन पाकर भक्त भावविह्वल हो उठे। पूरा आश्रम परिसर राजा राम के जय-जयकार से गूंज उठा।

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दोनों सागरों व पवित्र नदियों से लाए गए जल से प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक से हुआ। मुख्य आचार्य उलीमिरी सोमायाजुलू दिशा निर्देशन में वेद्ज्ञों ने पवित्र जल पुरित कलशों से श्रीराम प्रभु का अभिषेक करने के पश्चात वेद मंत्रों से राजा राम के सिंहासन को यंत्र सिद्ध किया। राघवेंद्र सरकार का राजश्री श्रृंगार कर उन्हें अष्टधातु से निर्मित सिवासन पर आरूढ़ कराया गया। इसके साथ ही उत्सव मंडप नाद वृंदम की स्वर लहरियों व शंखनाद के घोष से गूंज उठा। इस मनोहारी झांकी से भाव विभोर भक्तों ने राजा रामचंद्र की जय-जयकार की।

प्रभु श्री राम के राजाधीरज स्वरूप की अनुपम अलौकिक झांकी के दर्शनार्थ उत्सव मंडप में दोपहर से देर शाम तक श्रद्धालुओं की कतार लगी रही। काशी में पहली बार आयोजित इस महान अनुष्ठान में श्रद्धालु काशी वासियों के अलावा इस अवसर विशेष में भाग लेने दक्षिण भारत से आए भक्त जनों ने राजा राम को पुष्पांजलियां अर्पित की। अनुष्ठानिक उत्सव का समापन प्रभु के स्तवन व स्वस्ति वचन के साथ हुआ। वैदिक कर्मकांड में मुख्य आचार्य सौम्याजुलू का सहयोग किया।

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आचार्य बुद्ध शर्मा व पंडित श्याम शास्त्री ने यजमान का आसन ग्रहण किया। आंध्र आश्रम के प्रबंध न्यासी वीवी सुंदर शास्त्री व उनकी सहभागिनी वे मोरी उमा अभिषेक उत्सव के समानांतर चल रहे वाल्मीकि रामायण पारायण क्रम को भी आज ग्रंथ पूजन के साथ विराम दिया गया। इस अवसर पर आचार्य सौम्याजुलू ने कहा कि साम्राज्य पट्टाभिषेक एक लोक कल्याणकारी अनुष्ठान है। इसमें सहभागिता से प्राप्त पुण्य का कभी व्यय नहीं होता।

उत्सव के आयोजक बीवी सुंदर शास्त्री ने बताया कि राज्यारोहण प्रसंग के पश्चात श्री राम प्रभु के सहस्त्र तुलसी दल अर्चन के एवम सुहागिन महिलाओं ने देवी सीता के कुमकुमाचन की रस्म कल 19 अप्रैल को होगी। इस अवसर पर उत्सव वी याचिका अनुष्ठानों में सक्रिय भूमिका निभाने वाले विद्वतजनों आचार्य व अन्य सहयोगियों को अंग वस्त्र व स्मृति चिह्न भेंटकर सत्कार किया गया। 20 अप्रैल को श्री राम दरबार की गंगा में विशाल बजड़े पर शोभा यात्रा निकाली जाएगी। कार्यक्रम में आश्रम के अध्यक्ष पीवीआर शर्मा एवं आश्रम के ट्रस्टी गण यूआरके मूर्ति, दुबकुंता श्रीनिवास, पुरानम श्रीनिवास आदि मौजूद रहे।

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