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मारपीट और गाली-गलौज के आरोप में रामाश्रय सिंह रिहा

मारपीट, गालीगलौज और सरकारी कार्य में बाधा डालने के मामले में सेवानिवृत्त ग्राम विकास अधिकारी रामाश्रय सिंह उर्फ राम आसरे सिंह उर्फ बोधन सिंह को कोर्ट से जमानत मिल गई है। अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम) राजीव मुकुल पाण्डेय की अदालत ने उन्हें 25-25 हजार रुपए की दो जमानत और बंधपत्र देने के बाद रिहा करने का आदेश दिया।

अदालत में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता विकास सिंह, अमनदीप सिंह और अखिलेश सिंह ने उनके पक्ष में दलीलें पेश कीं। अभियोजन पक्ष के अनुसार, पलहीपट्टी फीडर के अवर अभियंता नारायण प्रसाद ने 9 सितंबर 2020 को चोलापुर थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी।

फीडर पलहीपट्टी पर राजस्व वसूली और विद्युत चोरी रोकने के लिए कारपोरेशन द्वारा चलाए गए सघन चेकिंग अभियान के दौरान आरोपित रामाश्रय सिंह ने सरकारी कर्मियों को धमकाया। अधिकारियों के अनुसार, उन्होंने कहा कि “हमारे मोहल्ले में कोई विजली चोरी नहीं है, यहां चेकिंग मत करो। नहीं तो अंजाम बुरा होगा।” जब अधिकारियों ने समझाने का प्रयास किया, तो आरोपित ने सरकारी बकाया की लिस्ट और विद्युत विच्छेदन पुस्तिका छीनकर फाड़ दी और गाली-गलौज तथा मारपीट शुरू कर दी।

इस घटना के कारण सरकारी कार्य और राजस्व वसूली में बाधा पहुंची, और मौके पर भीड़ जमा होने लगी। अधिकारियों ने सुरक्षित निकलने का प्रयास किया। इस मामले में आरोपी ने अधिवक्ताओं के जरिए कोर्ट में आत्मसमर्पण कर जमानत के लिए आवेदन किया था, जिसे अदालत ने मंजूर कर दिया।

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