
वसंत कन्या महाविद्यालय, कमच्छा में 29 नवंबर को काशी तमिल संगमम् 4.0 के तहत छात्र सलाहकार और अनुशासन समिति ने एक प्रभावशाली प्रमोशनल सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किया। यह आयोजन काशी और तमिल संस्कृति की विविधता और उनकी साझा विरासत को सामने लाने के लिए समर्पित था। इसका उद्देश्य युवाओं में सांस्कृतिक सहिष्णुता, संवाद और सामंजस्य को बढ़ावा देना था।

कार्यक्रम की शुरुआत भरतनाट्यम की पारंपरिक प्रस्तुति से हुई, जिसने माहौल को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रंगों से भर दिया। प्राचार्या प्रो. रचना श्रीवास्तव ने छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि ऐसे आयोजन संस्थान को गौरवान्वित करते हैं और नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ते हैं। उन्होंने इसे राष्ट्रीय एकता को मजबूत करने वाला कदम बताया। महाविद्यालय की प्रबंधिका श्रीमती उमा भट्टाचार्य ने अपने आशीर्वचन में इस कार्यक्रम को संस्थान की शैक्षिक और सांस्कृतिक परंपरा की महत्वपूर्ण कड़ी कहा।
कार्यक्रम में छात्राओं ने काशी और तमिल संस्कृति के विविध रंगों को मंच पर उतारा। प्रस्तुतियों में काशी की धार्मिक विरासत, लोकधुनें और तमिल शास्त्रीय नृत्य तथा साहित्य की झलक देखने को मिली। डॉ. श्वेता सिंह और डॉ. श्रीप्रिया सिंह के निर्देशन में भरतनाट्यम, कथक और प्रेरक गीतों ने भारतीय सांस्कृतिक विविधता की सुंदरता को प्रभावशाली ढंग से पेश किया।
आली, जीविका, श्रीमती भारती चट्टोपाध्याय, इप्सिता, दिशा लखानी और यीशु समेत कई छात्राओं ने अपनी प्रस्तुतियों से सांस्कृतिक एकता को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता जताई। कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि कला और संस्कृति सिर्फ अभिव्यक्ति का माध्यम नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने वाली मजबूत कड़ी हैं।
लगभग सवा सौ छात्राओं, शिक्षकों और कर्मचारियों की उपस्थिति में संपन्न यह आयोजन काशी तमिल संगम की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को साझा करने वाली यादगार शाम बन गया, जिसने विविधता में एकता के भाव को और मजबूत किया।