
उत्तर प्रदेश में कोडीन युक्त कफ सिरप और नॉरकोटिक्स श्रेणी की दवाओं के अवैध कारोबार के खिलाफ खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई की है। विभागीय मंत्री और मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों के अनुपालन में औषधि विभाग ने प्रदेश भर में व्यापक निरीक्षण अभियान चलाया। इसका उद्देश्य इन दवाओं के गैरकानूनी भंडारण, खरीद-बिक्री और वितरण पर रोक लगाना रहा।

निरीक्षण के दौरान कई गंभीर अनियमितताएं सामने आईं। कुछ प्रतिष्ठानों में भंडारण की व्यवस्था बेहद कमजोर पाई गई, तो कुछ फर्में केवल अवैध बिलिंग केंद्र के रूप में संचालित हो रही थीं। कई स्थानों पर क्रय-विक्रय से जुड़े जरूरी अभिलेख प्रस्तुत नहीं किए गए और कुछ फर्मों का वास्तविक अस्तित्व तक नहीं मिला। विभाग का कहना है कि इन गतिविधियों से दवाओं का गैर-चिकित्सकीय उपयोग बढ़ रहा था, जिससे नशे के रूप में दुरुपयोग की पुष्टि हुई है।
इन तथ्यों के आधार पर संबंधित जनपदों के औषधि निरीक्षकों ने बीएनएस अधिनियम 2023 और एनडीपीएस अधिनियम 1985 की सुसंगत धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज कराने के लिए संबंधित थानों में तहरीर दी है। साथ ही दोषी पाए गए प्रतिष्ठानों के औषधि लाइसेंस निरस्त करने के निर्देश भी जारी किए गए हैं।
वाराणसी जनपद में 12 से अधिक प्रतिष्ठानों और व्यक्तियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है, जिनमें राधिका एंटरप्राइज, मेड रेमिडी, श्री हरि फार्मा, विश्वनाथ मेडिकल एजेंसी, सोम्या मेडिकल एजेंसी, श्री राम फार्मा, खाटू फार्मा और काल भैरव ट्रेडर्स सहित कई नाम शामिल हैं। इसके अलावा सुल्तानपुर, भदोही और प्रयागराज में भी अवैध कारोबार से जुड़े प्रतिष्ठानों पर सख्त कदम उठाए गए हैं।
प्रदेश भर में अब तक की गई कार्रवाई के तहत वाराणसी में 36, जौनपुर में 12, कानपुर नगर में 8, लखनऊ में 3 और अन्य जिलों में कुल मिलाकर 87 फर्मों और व्यक्तियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। इन सभी के लाइसेंस निरस्त करने की प्रक्रिया जारी है।
औषधि विभाग ने स्पष्ट किया है कि अवैध भंडारण और नशीली दवाओं के कारोबार में संलिप्त किसी भी प्रतिष्ठान को बख्शा नहीं जाएगा। आने वाले समय में भी इस तरह का अभियान जारी रहेगा ताकि नशे पर प्रभावी नियंत्रण और जनस्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।