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सीमा पार कफ सिरप तस्करी का नेटवर्क: वाराणसी बना बड़ा केंद्र

गाजियाबाद में प्रतिबंधित कफ सिरप की एक बड़ी खेप मिलने के बाद पुलिस जांच ने एक ऐसे नेटवर्क को उजागर किया है जिसकी जड़ें वाराणसी से लेकर बांग्लादेश तक जुड़ी बताई जा रही हैं। नंदग्राम थाना पुलिस द्वारा पकड़ी गई खेप कोई साधारण अवैध माल नहीं थी, बल्कि चार ट्रकों में भरी हजारों बोतलों का स्टॉक था, जिसे बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के रास्ते बांग्लादेश पहुंचाया जाना था। इस कार्रवाई के बाद जो नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है, वह है वाराणसी के सिगरा इलाके के रहने वाले शुभम जायसवाल का। पुलिस ने उसे इस नेटवर्क का मुख्य संचालक बताया है।

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छोटे कर्मचारी से लेकर करोड़ों की तस्करी तक

कुछ साल पहले तक शुभम एक साधारण मेडिकल स्टोर पर छोटा कर्मचारी था। उसकी मासिक आय चार अंकों से ज्यादा नहीं थी। लेकिन अचानक उसकी जीवनशैली बदलने लगी। महंगी कारें, शौक और तेज रफ्तार खर्च का पैटर्न देखकर कई लोग हैरान थे। यह बदलाव इतना तेज था कि आसपास के लोग भी उसकी आय के स्रोत पर सवाल उठाने लगे।

जांच एजेंसियों के अनुसार, मेडिकल स्टोर के काम के दौरान उसे दवाओं की खरीदी, वितरण और स्टॉक के बारे में जानकारी मिल गई। इसी संपर्क के आधार पर उसने कफ सिरप की अवैध सप्लाई शुरू की, जिसकी बाजार में भारी मांग है क्योंकि यह नशे के रूप में इस्तेमाल होती है। धीरे-धीरे यह गतिविधि इंटरस्टेट सप्लाई चेन में बदल गई।

क्या राजनीतिक संरक्षण मिला?

स्थानीय स्तर पर कई लोगों का दावा है कि शुभम को एक प्रभावशाली नेता का संरक्षण था। कुछ लोग बताते हैं कि वह कई राजनीतिक कार्यक्रमों में दिखाई देता था और हाल ही में उसकी एक फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई जिसमें वह पूर्वांचल के एक पूर्व सांसद के साथ नजर आता है। आधिकारिक स्तर पर इस दावे की पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन सवाल यह है कि बिना ऊपर से संरक्षण के इतने बड़े स्तर की तस्करी क्या संभव है?

एक सूत्र का कहना है, “बिना व्यवस्था के सहयोग के इतनी बड़ी सप्लाई लाइन खड़ी नहीं हो सकती।” हालांकि पुलिस इस दावे पर फिलहाल टिप्पणी नहीं कर रही। जांच अधिकारी केवल इतना कह रहे हैं कि मामले में सभी लिंक की जांच की जा रही है।

कैसे पकड़ा गया नेटवर्क

इस नेटवर्क की पहली कड़ी 18 अक्टूबर को सोनभद्र में पकड़े गए एक ट्रक से मिली। ट्रक में प्रतिबंधित कफ सिरप मिला और जांच आगे बढ़ी। इसके बाद रांची से भी एक ट्रक पकड़ा गया। जब गाजियाबाद में पुलिस ने चार ट्रकों को रोका, तो पूछताछ में शुभम का नाम सामने आया। उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज हो चुका है और वाराणसी पुलिस से उसकी पूरी जानकारी मांगी गई है।

पुलिस के मुताबिक, यह नेटवर्क उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश तक फैला था। बरामदगी के बाद शुभम और उसके करीबी लोग भूमिगत बताए जा रहे हैं।

सप्तसागर दवा मंडी पर सवाल

वाराणसी की प्रसिद्ध सप्तसागर दवा मंडी को इस नेटवर्क से जोड़ कर देखा जा रहा है। पुलिस अब यह जांच कर रही है कि क्या सप्लाई चैन का कोई हिस्सा सीधे यहां से जुड़ा था या नहीं। हालांकि, अभी तक कोई ठोस सबूत सामने नहीं आया है।

अंत में सवाल वही

एक साधारण मेडिकल कर्मचारी कुछ ही वर्षों में करोड़ों की अवैध तस्करी का मुखिया कैसे बन गया? उसकी मदद किसने की? और यह नेटवर्क कितने समय से सक्रिय था?

जांच जारी है, लेकिन यह मामला एक बार फिर दिखाता है कि छोटा सा सुराग भी बड़े अपराध की परतें खोल सकता है।

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