
दिवाली की रौशनी के बीच बॉलीवुड पर गहरा साया छा गया। हिंदी सिनेमा के मशहूर हास्य अभिनेता असरानी का सोमवार, 20 अक्टूबर की शाम 84 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। करीब चार बजे उन्होंने मुंबई के आरोग्य निधि अस्पताल में अंतिम सांस ली। पिछले कुछ दिनों से वे फेफड़ों की बीमारी से जूझ रहे थे। उनके मैनेजर बाबू भाई ने भावुक होकर कहा, “वह चार दिन से अस्पताल में थे, लेकिन हमें उम्मीद थी कि वह जल्द लौट आएंगे।”
असरानी का नाम भारतीय सिनेमा में हँसी की पहचान था। उनके संवाद, चेहरे के हावभाव और समय की सटीक पकड़ ने उन्हें हर पीढ़ी का पसंदीदा कलाकार बना दिया। “शोले” में जेलर के किरदार से लेकर “चुपके चुपके”, “अभिमान”, “गोलमाल” और “जाने भी दो यारों” जैसी फिल्मों में उन्होंने अपने अभिनय से दर्शकों को खूब हँसाया। असरानी की कॉमिक टाइमिंग इतनी स्वाभाविक थी कि उनका हर सीन यादगार बन जाता था।
दिवाली की उसी शाम, जब पूरा देश दीपों से जगमगा रहा था, शांतिनगर श्मशान में असरानी का अंतिम संस्कार किया गया। बॉलीवुड के कई दिग्गज कलाकार, उनके मित्र और प्रशंसक अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। हँसी के इस बादशाह का शरीर भले ही अब शांत हो गया हो, लेकिन उनकी आवाज़ और उनके किरदार हमेशा दिलों में जिंदा रहेंगे।
असरानी ने सिर्फ फिल्मी पर्दे पर नहीं, बल्कि लाखों लोगों के जीवन में मुस्कान बाँटी। उन्होंने साबित किया कि हास्य भी एक गहरी कला है, जो लोगों के दिलों में अमर हो जाती है। आज जब वे नहीं हैं, तो बॉलीवुड ने सिर्फ एक अभिनेता नहीं, बल्कि अपनी हँसी की आत्मा खो दी है।