फतेहपुर जनपद के हथगांव क्षेत्र के सेमरहा गांव में रविवार को एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। एक ही पति की दो पत्नियों के बीच हुआ विवाद खूनी संघर्ष में बदल गया। इस संघर्ष ने न केवल गांव में सनसनी फैला दी, बल्कि पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही की पोल भी खोल दी। वहीं, स्थानीय पत्रकार नाजिया परवीन ने अपनी बहादुरी और मानवीय संवेदना से यह साबित किया कि इंसानियत आज भी जिंदा है।
पति की दो पत्नियों के बीच खूनी संघर्ष
जानकारी के अनुसार, सेमरहा गांव निवासी दीपिका सिंह और उनकी सौतन मुस्कान के बीच काफी समय से पारिवारिक विवाद चल रहा था। दोनों में आए दिन कहासुनी होती रहती थी, लेकिन रविवार को यह विवाद इतना बढ़ गया कि दीपिका ने गुस्से में आकर मुस्कान पर कुल्हाड़ी से हमला कर दिया। इस हमले में मुस्कान गंभीर रूप से घायल हो गई और मौके पर चीख-पुकार मच गई। गांव के लोग भी इस खूनखराबे को देखकर दंग रह गए।
पुलिस और एंबुलेंस रही नदारद
घटना की सूचना मिलने के बाद भी पुलिस और एंबुलेंस मौके पर नहीं पहुंची। घायल मुस्कान तड़पती रही, लेकिन प्रशासनिक तंत्र की सुस्ती ने मानो उसकी जान को जोखिम में डाल दिया। ग्रामीणों ने मदद की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठा सके। इस बीच, पास से गुजर रही स्थानीय पत्रकार नाजिया परवीन ने स्थिति को देखा तो खुद मोर्चा संभाल लिया।
पत्रकार नाजिया ने दिखाई बहादुरी और इंसानियत
नाजिया परवीन ने बिना देर किए ग्रामीणों की मदद से मुस्कान को हमलावर दीपिका के कब्जे से छुड़ाया। उन्होंने तत्काल पुलिस और एंबुलेंस को फोन किया, लेकिन सहायता पहुंचने में देर होती देख उन्होंने खुद ही घायल महिला को अस्पताल पहुंचाने का फैसला किया। स्थानीय लोगों की मदद से नाजिया ने मुस्कान को मोटरसाइकिल पर बैठाया और खून से सनी हालत में हथगांव के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की ओर रवाना हुईं।
अस्पताल में भी लापरवाही का आलम
जब नाजिया मुस्कान को अस्पताल लेकर पहुंचीं, तो वहां का नजारा और भी निराशाजनक था। अस्पताल में डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ दोनों ही मौजूद नहीं थे। वार्ड बॉय ने किसी तरह प्राथमिक उपचार किया, लेकिन गंभीर रूप से घायल महिला के लिए यह पर्याप्त नहीं था। इस दौरान नाजिया ने स्वास्थ्य कर्मियों को फोन कर बुलाने की कोशिश की और प्रशासनिक लापरवाही की जानकारी उच्चाधिकारियों को दी।
लापरवाही पर उठे सवाल, पत्रकार की सराहना
यह पूरा मामला न केवल पुलिस प्रशासन बल्कि स्वास्थ्य विभाग की कार्यशैली पर भी बड़ा सवाल खड़ा करता है। जब जनता को सबसे ज्यादा जरूरत होती है, तब जिम्मेदार विभागों की अनुपस्थिति इंसानियत पर कलंक साबित होती है। दूसरी ओर, पत्रकार नाजिया परवीन की हिम्मत और मानवीय संवेदना ने यह दिखाया कि समाज में आज भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो दूसरों की मदद के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं।
जनता की मांग: कार्रवाई और सम्मान दोनों जरूरी
गांववालों और स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले में दीपिका सिंह के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और पुलिस व स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही पर जांच कर दोषियों को दंडित किया जाए। साथ ही, लोगों ने नाजिया परवीन को सम्मानित करने की भी मांग की है, जिन्होंने बिना किसी स्वार्थ के एक घायल महिला की जान बचाई।
यह घटना न केवल एक पारिवारिक विवाद का परिणाम है, बल्कि यह समाज और सिस्टम दोनों के लिए आईना भी है — जहां एक ओर प्रशासनिक लापरवाही जानलेवा बनती जा रही है, वहीं कुछ लोग अपनी इंसानियत से उम्मीदों की किरण जलाए हुए हैं।