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गोवर्धन पूजा पर भगवान श्री कृष्ण ने प्रकृति संरक्षण के लिए प्रेरित किया*- साध्वी स्वाती भारती

वाराणसी जिले के चौबेपुर में दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान द्वारा आयोजित साप्ताहिक श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ सनसाईन पब्लिक स्कूल के खेल मैदान में श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी स्वाति भारती जी ने गोवर्धन पूजन,सुदर्शन उद्धार,कंस वध आदि प्रसंगों का भावपूर्ण,सरस वाचन करते हुए वैज्ञानिक,समकालीन समाज के सन्दर्भ में प्रस्तुति की| उन्होंने बताया कि नदी के जल पर बाँध बनाकर कई सकारात्मक कार्य किए जा सकते हैं लेकिन बाँध के अभाव में यह किनारों की मर्यादा तोड़ बाढ़ जैसी विभीषिका को जन्म देती है| आज समाज में युवाओं की ऊर्जापूर्ण नदी के साथ भी तो यही घट रहा है| नशाखोरी,अश्लीलता,चरित्रहीनता जैसे व्यसन उनके जीवन में आ चुके हैं| ब्रह्मज्ञान के बाँध द्वारा युवाओं की अपरिमित ऊर्जा को सकारात्मक दिशा दी गयी| आज सर्व श्री आशुतोष महाराज जी ने ब्रह्मज्ञान प्रदान कर युवाओं को भटकने से बचाया है ।स्वामी विवेकानंद,छत्रपति शिवाजी,महर्षि दयानंद सरस्वती की भांति जन-कल्याण के कार्य रहे हैं| आप सब भी ब्रह्मज्ञान को प्राप्त कर अपनी ऊर्जा को पहचानें और सोयी शक्तियों को जागृत करें।
साध्वी जी ने बताया कि गोवर्धन पूजन द्वारा प्रभु श्री कृष्ण ने प्रकृति संरक्षण पर बल दिया। इसी के अंतर्गत उन्होंने दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के प्रकृति संरक्षण कार्यक्रम ‘संरक्षण’ की चर्चा करते हुए बताया कि आज अनेक आयोजनों द्वारा समाज में प्रकृति संरक्षण के प्रति जागरूकता लाई जा रही है।
जब मनुष्य अपनी आत्मा से जागृत हो जाता है तो प्रकृति का दोहन नहीं उसका पूजन करता है।कोई मोमबत्ती, बल्ब पर दृष्टि एकाग्र करने को ध्यान कहता है तो कोई मन को कल्पना के द्वारा किसी सुन्दर स्थान पर ले जाने को ध्यन की प्रक्रिया समझ रहा है| लेकिन क्या बाहरी नेत्रों को मूँद कर बैठ जाना हीध्यान है ? नहीं| साध्य के बिना साधना कैसी! उपास्य के बिना उपासना कैसी! श्री आशुतोष महाराज जी कहते हैं वास्तविक ध्यान शुरू होता है| ध्यान के लिए एक पूर्ण सद्गुरु द्वारा दिव्य चक्षु का खुलना अति आवश्यक है| भीतर की ध्यान रुपी नदी में उतरकर डूबकर ही परमशांति के मणि-माणिक्य प्राप्त किए जा सकते हैं| यह उन शिक्षाओं का असली अर्थ जानकर उन्हें जीवन में उतारने पर बल देता है| सभी धर्म एवम धर्म-ग्रन्थ एकमत से अपने असली स्वरुप- आत्मा के साक्षात्कार पर बल देते हैं| इसके बाद ही इंसान में चिर-स्थायी आतंरिक बदलाव द्वारा समाज की बिगड़ी तस्वीर का सुधार संभव है|
मुख्य यजमान चंद्रशेखर तिवारी मून बाबू,त्रिज्या तिवारी, संतोष बरनवाल विनोद चतुर्वेदी, शारदा चतुर्वेदी द्वारा कथा का शुभारंभ श्री आशुतोष जी महाराज को दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। संचालन दिव्य ज्योति जाग्रति संस्थान के पूर्वांचल कोआर्डिनेटर स्वामी अर्जुनानंद व स्वामी हरिप्रकाशानंद ने किया।इस मौके परअजगरा विधायक त्रिभुवन राम, भाजपा किसान मोर्चा के अध्यक्ष रामप्रकाश सिंह बीरू,जीत्तू सिंह ,प्रवीण यादव,डा शैलेन्द्र पांडेय,डा एके पांडेय, कुमुद उपाध्याय, दीनानाथ बरनवाल,भव्य तिवारी आदि कई प्रमुख लोग शामिल रहे। धन्यवाद ज्ञापन आयोजक संतोष कन्नौजिया व सृजन चतुर्वेदी शिवम ने किया।

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