
भक्ति जब दिनचर्या का हिस्सा बन जाती है, तब जीवन में नई ऊर्जा और आस्था का संचार होता है। जिंदगी में जब से रोज पूज रहा हूँ भजन प्रभु के प्रति अटूट समर्पण का भाव जगाता है। इसके मधुर बोल भक्त को यह एहसास कराते हैं कि निरंतर पूजा से जीवन सुख, शांति और संतोष से भर जाता है।
Jinadangi Mein Jab Se Roj Puj Raha Hu
जिंदगी में जब से रोज पूज रहा हु श्री गणेश,
तप्त हुआ तन मन धन, रही न कोई इच्छा शेष,
जय गणेश जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश जय गणेश जय गणेश,
सूख देने वाले विध्नहर को हरपहर करता हु नमन,
गणपति की भक्ति में न्यौछावर मेरातन मन औऱ धन…..
हर किसीसे प्रेम कर लो,
जाने कब मिल जाये प्रभु किसके भेष….
जिंदगी में जब से रोज पूज रहा हु श्री गणेश,
तप्त हुआ तन मन धन, रही न कोई इच्छा शेष,
जय गणेश जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश जय गणेश जय गणेश…
ज्ञान देने वाले विद्याधर जी, सब को सन्मति दीजिए,
हम सब है ठहरे अज्ञानी, सब पर अपनी कृपा कीजिए…..
हर कोई मिल जुलकर रहे,
है गजनना, सुख शांति का दीजिये आशीष…..
जिंदगी में जब से रोज पूज रहा हु श्री गणेश,
तप्त हुआ तन मन धन, रही न कोई इच्छा शेष,
जय गणेश जय गणेश जय गणेश,
जय गणेश जय गणेश जय गणेश…
हर दिन की भक्ति आत्मा को दिव्य प्रकाश से आलोकित करती है और मन को सकारात्मकता की ओर ले जाती है। जिंदगी में जब से रोज पूज रहा हूँ भजन का गायन भक्त को अपने ईश्वर के और निकट ले आता है। यह भक्ति गीत हमें यह संदेश देता है कि निरंतर आराधना से जीवन के सभी मार्ग सरल और मंगलमय हो जाते हैं।

