तेरा नाम सुनके दाता दर पर फ़कीर आया,

Ashu

तेरा नाम सुनके दाता दर पर फ़कीर आया,

तेरा नाम सुनके दाता दर पर फ़कीर आया भजन एक सच्चे भक्त की व्यथा और समर्पण का भावपूर्ण चित्रण है। यह भजन दर्शाता है कि जब जीवन में कोई सहारा नहीं रहता, तब प्रभु के दरबार का नाम ही अंतिम आशा बनता है। प्रभु के नाम पर विश्वास करके फ़कीर भक्त उनका आशीर्वाद पाने आता है।

Tera Naam Sun Ke Data Dar Par Fakir Aaya

तेरा नाम सुनके दाता दर पर फ़कीर आया,

उस नाम के मुताबिक कर दो करम ख़ुदाया।

सुनते हैं जो भी आया, भर भर के झोली पाया,

पर यह फ़कीर मौला झोली न संग लाया।

गर ख़ाली हाथ लौटा तो कान खोल कर सुन,

हो जायेगा जहाँ से तेरे नाम का सफाया।

सामान दे या ना दे मर्जी तेरी है रहवर,

झोली तो दे दे दाता ठोकर बहुत है खाया।

है देर तेरे घर में अन्धेर तो नहीं हैं,

आशिक ‘कृपालु’ ने यह राज है बताया।

यह भजन हमें यह सिखाता है कि प्रभु के दरबार में हर कोई समान है—चाहे फ़कीर हो या राजा। तेरा नाम सुनके दाता दर पर फ़कीर आया सुनते समय यह अनुभूति होती है कि सच्ची श्रद्धा और समर्पण से ही प्रभु की कृपा मिलती है। यह भजन हर दिल में आस्था की लौ को प्रज्वलित कर देता है।

खबर को शेयर करे

Leave a Comment