
माँ की महिमा अपरम्पार भजन मां की अनंत शक्ति और कृपा का गुणगान है। इस भजन को सुनते ही मन श्रद्धा से भर जाता है और आत्मा को शांति का अनुभव होता है। मां की महिमा इतनी व्यापक है कि उसका वर्णन शब्दों में करना संभव नहीं, केवल अनुभव किया जा सकता है।
Maa ki mahima Aprampaar
माँ की महिमा अपरम्पार, भगत के कष्ट मिटाती है
कष्ट मिटाती है,माँ दुखडे दूर भगाती है
माँ की महिमा अपरम्पार, भगत के कष्ट मिटाती है
कटरा में वो वास है करती, होके सिंह सवार
बाण गंगा का अमृत पानी, सबका करे उद्वार
कठिन चढाई तुम भी चढ़लो, हो जाये बेडा पार
माँ की महिमा अपरम्पार, भगत के कष्ट मिटाती है..
हमने सुना तू भेद ना करती, रखती सबका मान
देखे न राजा रंक न देखे, सब है एक समान
भाव से तुम भी माँ को मना लो, पूरी करती आस
माँ की महिमा अपरम्पार, भगत के कष्ट मिटाती है..
ध्यान ने पूजा, श्रीधर पूजे, पूजे तेरा नन्दलाल
देवी देवता मंगल गावे, करे तेरी जयकार
शंकर तेरे भजन है गाता, रख दे सिर में हाथ
माँ की महिमा अपरम्पार, भगत के कष्ट मिटाती है..
माँ की महिमा अपरम्पार हर भक्त को यह स्मरण कराता है कि मां की कृपा से ही जीवन का हर मार्ग सरल हो जाता है। यह भजन मन को विश्वास, शक्ति और भक्ति से भर देता है। इसे सुनकर हृदय में यही भाव जागृत होता है कि मां की महिमा सचमुच अपरंपार है और उनके चरणों में ही जीवन की सच्ची शरण है।

