केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने की मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक की अध्यक्षता, राज्यों के आपसी सहयोग की सराहना

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वाराणसी, उत्तर प्रदेश में केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक की अध्यक्षता की। यह बैठक भारतीय संघीय व्यवस्था में सहयोग और समन्वय को बढ़ावा देने के उद्देश्य से आयोजित की गई थी। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय के साथ-साथ विभिन्न राज्यों और केंद्र सरकार के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

प्रधानमंत्री की इच्छाशक्ति और भारतीय सेनाओं के पराक्रम को सराहा

बैठक की शुरुआत में गृह मंत्री अमित शाह, उपस्थित मुख्यमंत्रियों और अन्य सदस्यों ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की दृढ़ इच्छाशक्ति और भारतीय सशस्त्र सेनाओं के पराक्रम का अभिनंदन प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसे परिषद ने ध्वनिमत से अनुमोदित किया। गृह मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के लक्ष्य की प्राप्ति में मध्य क्षेत्रीय परिषद से जुड़े राज्यों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

क्षेत्रीय परिषदों की सफलता और विवाद रहित कार्यशैली

गृह मंत्री ने यह बताया कि मध्य क्षेत्रीय परिषद देश की एकमात्र क्षेत्रीय परिषद है, जहां दो या अधिक राज्यों के बीच कोई भी विवाद शेष नहीं है। उन्होंने इसे संघीय प्रणाली की एक बड़ी सफलता बताया और कहा कि इस उपलब्धि के लिए सभी सदस्य राज्यों को बधाई दी जानी चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि परिषद की यह भूमिका “सहकारी संघवाद” की भावना को बल देती है।

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बैठक की उपलब्धियाँ: 1287 मुद्दों का समाधान

अमित शाह ने यह जानकारी दी कि वर्ष 2004 से 2014 की तुलना में 2014 से 2025 के बीच क्षेत्रीय परिषदों की बैठकों में बड़ी वृद्धि हुई है। पूर्व की तुलना में 2 गुना वृद्धि हुई है – पहले जहाँ 11 बैठकें हुई थीं, वहीं अब 28 बैठकें आयोजित की गईं। इसी अवधि में स्थायी समितियों की बैठकें 14 से बढ़कर 33 हुई हैं। इन बैठकों के माध्यम से अब तक कुल 1287 मुद्दों का समाधान किया गया है, जो परिषद की प्रभावशीलता को दर्शाता है।

बच्चों का कुपोषण और शिक्षा प्रमुख मुद्दे

गृह मंत्री ने बैठक में बच्चों में कुपोषण को खत्म करने, स्कूल ड्रॉपआउट दर को शून्य करने तथा सहकारिता को मजबूत करने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने सभी राज्यों से आग्रह किया कि इन मुद्दों पर गहनता से कार्य करें। उन्होंने कहा कि भारत को मजबूत बनाने के लिए गांव और पंचायतों की भूमिका को सशक्त करना होगा।

पंचायतों की आय बढ़ाने का आह्वान

श्री शाह ने सदस्य राज्यों से पंचायतों की आय बढ़ाने के लिए आवश्यक नियम बनाने की सिफारिश की। उन्होंने कहा कि पंचायतों की वित्तीय सशक्तता से त्रिस्तरीय पंचायती राज व्यवस्था और अधिक प्रभावशाली बन सकती है।

महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा

बैठक में कुल 19 मुद्दों पर चर्चा की गई, जिनमें राष्ट्रीय महत्व के विषय भी शामिल थे। इनमें निम्नलिखित प्रमुख मुद्दे थे:

  • महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों की त्वरित जांच और निपटान के लिए फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों (FTSC) की स्थापना।
  • प्रत्येक गांव में ब्रिक-एंड-मोर्टार बैंकिंग सुविधाएं सुनिश्चित करना।
  • आपातकालीन प्रतिक्रिया सहायता प्रणाली (ERSS-112) का क्रियान्वयन।
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गृह मंत्री ने स्पष्ट किया कि इन सभी विषयों पर राज्य आपसी समन्वय से काम करें ताकि शासन व्यवस्था अधिक प्रभावशाली और जनहितैषी बन सके।

क्षेत्रीय परिषदों की संरचना और कार्यप्रणाली

राज्य पुनर्गठन अधिनियम, 1956 की धारा 15 से 22 के तहत भारत में कुल पांच क्षेत्रीय परिषदों की स्थापना की गई थी। इन परिषदों के अध्यक्ष केंद्रीय गृह मंत्री होते हैं, जबकि सदस्य राज्यों के मुख्यमंत्री, उपराज्यपाल, प्रशासक एवं राज्यपाल द्वारा नामित मंत्री इसके सदस्य होते हैं। परिषदों की कार्यवाही को अधिक प्रभावी बनाने के लिए मुख्य सचिवों की अध्यक्षता में स्थायी समितियाँ गठित की जाती हैं, जो प्रस्तावित मुद्दों पर प्रारंभिक विचार-विमर्श करती हैं।

सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद पर बल

गृह मंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी के उस दृष्टिकोण को भी दोहराया जिसमें उन्होंने सहकारी और प्रतिस्पर्धी संघवाद को देश के सर्वांगीण विकास का आधार बताया है। उन्होंने कहा कि “मजबूत राज्य ही मजबूत राष्ट्र बनाते हैं” और इस भावना को साकार करने में क्षेत्रीय परिषदें एक महत्त्वपूर्ण मंच हैं।

सलाहकार भूमिका में भी अहम योगदान

हालांकि क्षेत्रीय परिषदों की भूमिका सलाहकार होती है, फिर भी पिछले कुछ वर्षों में इन परिषदों ने राज्यों और केंद्र सरकार के बीच सहयोग को बढ़ावा देने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। परिषदों और स्थायी समितियों की कुल 62 बैठकें आयोजित हो चुकी हैं, जो यह दर्शाता है कि संवाद और सहयोग के इस मंच का उपयोग नीति निर्माण और क्रियान्वयन में सक्रिय रूप से किया जा रहा है।

मध्य क्षेत्रीय परिषद की 25वीं बैठक ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत में संघीय शासन प्रणाली अब केवल एक प्रशासनिक आवश्यकता नहीं, बल्कि सहयोग, समन्वय और साझा उत्तरदायित्व का जीवंत उदाहरण बन चुकी है। गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में परिषद ने न केवल पारंपरिक विषयों पर चर्चा की, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने वाले मुद्दों पर भी ठोस विमर्श किया। यह बैठक भारत को एक विकसित, संगठित और समन्वित राष्ट्र बनाने की दिशा में एक और मजबूत कदम सिद्ध हुई।