सद्गुरु कबीर साहेब का 627वां प्राकट्य महोत्सव लहरतारा धाम में भव्य रूप से आरंभ

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वाराणसी स्थित सद्गुरु कबीर प्राकट्य धाम लहरतारा में तीन दिवसीय 627वां प्राकट्य महोत्सव भव्यता के साथ आरंभ हुआ। इस आयोजन का शुभारंभ सत्संग और विशाल भंडारे के साथ हुआ, जिसका आयोजन सद्गुरु कबीर प्राकट्य धाम एवं स्मारक विकास समिति द्वारा किया गया। देश के विभिन्न राज्यों से संत, महंत, भक्त और श्रद्धालु बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। कबीर साहेब की वाणी, साखी और भजनों से पूरा परिसर गुंजायमान हो उठा और वातावरण कबीरमय बन गया।

महोत्सव के पहले दिन सुबह 9 बजे कबीरपंथ के आचार्य पंथश्री हजूर अर्धनाम साहेब के करकमलों द्वारा सत्यनाम से अंकित ध्वज का ध्वजारोहण किया गया। इसके पश्चात कबीर साहेब की प्रतिमा पर पुष्प चादर अर्पित कर पूजा-अर्चना और आरती की गई। कार्यक्रम की शुरुआत बाल संत चंद्रप्रकाश द्वारा स्वागत भजन “परम मंगल आज स्वागत आपका है…” से की गई।

कहा जाता है कि 627 वर्ष पूर्व सद्गुरु कबीर साहेब लहरतारा तालाब में कमल पुष्प पर प्रकट हुए थे। संत गरीब साहेब की वाणी इस घटना का उल्लेख करती है – “गगन मंडल से उतरे, सद्गुरु सत्य कबीर…”। इस अवसर पर आचार्य पंथश्री हजूर अर्धनाम साहेब ने प्रवचन में कहा कि सद्गुरु कबीर साहेब का धरती पर आगमन अज्ञान और अंधकार को मिटाने, सत्यबोध कराने और जीवों को आत्मज्ञान देने के लिए हुआ। उन्होंने सत्संग को जीवन का सार बताते हुए कहा कि संतो की संगति से सभी दुःख दूर हो जाते हैं।

धर्माधिकारी सुधाकर दास शास्त्री साहेब ने कहा कि कबीर साहेब का प्राकट्य विक्रम संवत 1456, ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन हुआ था और उसी दिन दो सूर्य उदित हुए – एक भौतिक और दूसरा आत्मिक प्रकाश देने वाले कबीर साहेब। उन्होंने बताया कि कबीर साहेब कमल पुष्प पर प्रकट हुए और शरीर त्यागते समय भी पुष्प रूप में लीन हो गए।

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संत अनुपम दास जी और मनोज दास जी ने कबीर साहेब की उलटवासी वाणी के माध्यम से भजनों द्वारा आत्मज्ञान का संदेश दिया। विशेषकर “पानी में मीन पियासी…” भजन ने श्रोताओं को भावविभोर कर दिया।

इस आयोजन में पटना, छत्तीसगढ़, नोएडा, राजस्थान, गुजरात, बिहार, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बंगाल, दिल्ली, पंजाब, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश सहित विभिन्न राज्यों से संत महंतों और श्रद्धालुओं की उपस्थिति रही। भक्त श्री सुरेश जी और सपना देवी परिवार द्वारा तीन दिन का भंडारा आयोजित किया गया। समिति के सदस्य कालूराम, हनुमत, सुधीर, सुरेंद्र, पप्पू, लीलाधर, अर्जुन आदि की उपस्थिति रही।

यह तीन दिवसीय आयोजन सत्संग, साहेब वाणी और भजन-पूजन के साथ जारी रहेगा। 10 जून को प्रातः 8 बजे से शोभायात्रा निकाली जाएगी और रात्रि में सात्विक चौका आरती के साथ कार्यक्रम का समापन होगा।