माँ अन्नपूर्णा की कृपा पाने के लिए पढ़ें : Annapurna Gayatri Mantra

अन्नपूर्णा गायत्री मंत्र
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भारतवर्ष में अन्न को देवता के रूप में पूजने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। अन्न की देवी मानी जाती हैं माँ अन्नपूर्णा, जिनकी कृपा से जीवन में अन्न, धन, और शांति की कभी कमी नहीं होती। आज हम जिस मंत्र की बात कर रहे हैं वह है Annapurna Gayatri Mantra, जो न केवल अन्न की प्राप्ति में सहायक है बल्कि आत्मिक संतुलन भी प्रदान करता है। यह लेख माँ अन्नपूर्णा के इस चमत्कारी मंत्र की विधि, लाभ और श्रद्धा के भाव से आपको पूर्ण जानकारी देने के लिए लिखा गया है।

अन्नपूर्णा गायत्री मंत्र

ॐ भगवत्यै च विद्महे
महालक्ष्म्यै च धीमहि
तन्नो अन्नपूर्णा प्रचोदयात्॥

Annapurna Gayatri Mantra न केवल एक धार्मिक मंत्र है, बल्कि यह एक आध्यात्मिक साधना भी है जो हमारे जीवन में अन्न, संतोष और समृद्धि का आह्वान करती है। यदि आप भी चाहते हैं कि आपके जीवन में कभी अन्न की कमी न हो और माँ अन्नपूर्णा का आशीर्वाद हमेशा बना रहे, तो इस मंत्र को अपनाएं और श्रद्धा पूर्वक इसका जाप करें।

मंत्र जप विधि

  1. प्रातःकाल स्नान कर लें: माँ अन्नपूर्णा की पूजा एवं मंत्र जप के लिए सुबह का समय सबसे श्रेष्ठ माना गया है। स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।
  2. पूजन स्थल पर माँ अन्नपूर्णा की मूर्ति या चित्र रखें: एक साफ स्थान पर माँ का चित्र रखकर दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  3. शुद्ध मन और भाव से जप करें: मंत्र का जाप कम से कम 108 बार तुलसी या रुद्राक्ष की माला से करें। हर जप में माँ अन्नपूर्णा से अन्न, शांति और संतोष की कामना करें।
  4. प्रसाद चढ़ाएं: घर में बना सात्विक अन्न जैसे खीर, चावल या हलवा माँ को अर्पित करें।
  5. जप के बाद शांति पाठ या भोजन मंत्र का उच्चारण करें: यह पूजा को पूर्णता देता है और माँ की कृपा सुनिश्चित करता है।
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मंत्र के लाभ

  • अन्न की कमी नहीं होती: इस मंत्र के नियमित जाप से घर में कभी अन्न की कमी नहीं रहती। माँ अन्नपूर्णा हर दिन भोजन की व्यवस्था कर देती हैं।
  • आर्थिक स्थिरता आती है: माँ की कृपा से जीवन में धन, समृद्धि और आर्थिक संतुलन आता है।
  • मन की संतुष्टि मिलती है: यह मंत्र मन को शांति देता है और संतोष का भाव उत्पन्न करता है, जिससे जीवन में स्थायित्व आता है।
  • परिवार में एकता बनी रहती है: माँ अन्नपूर्णा का आशीर्वाद परिवार को जोड़े रखता है और रिश्तों में प्रेम बना रहता है।
Shiv murti
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