गायत्री मंत्र वैदिक युग का सबसे शक्तिशाली और पवित्र मंत्र माना जाता है। यह मंत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति में सहायक है बल्कि मानसिक शांति, ध्यान और आत्मज्ञान की दिशा में भी मार्गदर्शन करता है। Who wrote Gayatri Mantra इस प्रश्न के उत्तर के साथ हम इस लेख में गायत्री मंत्र के रचयिता, इसका जप करने की विधि और इससे प्राप्त होने वाले चमत्कारी लाभों की चर्चा करेंगे।
मंत्र
ॐ भूर्भव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं,
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
महर्षि विश्वामित्र द्वारा रचित गायत्री मंत्र केवल एक वैदिक मंत्र नहीं, बल्कि एक संपूर्ण साधना है। यह मंत्र हर युग में, हर आयु वर्ग के व्यक्ति के लिए लाभकारी है। यदि आप जीवन में आत्मिक उन्नति और मानसिक शांति चाहते हैं, तो प्रतिदिन नियमपूर्वक गायत्री मंत्र का जप करें और दिव्यता का अनुभव करें।
जप की विधि
- प्रातः स्नान के बाद शुद्ध वस्त्र पहनें।
- पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
- आसन के लिए कंबल या कुशासन का उपयोग करें।
- दीपक और जल से भरा पात्र अपने सामने रखें।
- दोनों हाथ जोड़कर भगवान सूर्य का ध्यान करें।
- आँखें बंद कर शांति से मंत्र का जप करें।
- कम से कम 11, 21 या 108 बार जप करें (जप माला से कर सकते हैं)।
- जप के बाद आभार प्रकट करें और अंत में जल से आचमन करें।
मंत्र के लाभ
- मानसिक शांति और एकाग्रता में वृद्धि।
- बुद्धि और स्मरण शक्ति को तीव्र करता है।
- नकारात्मक ऊर्जा और भय को दूर करता है।
- आध्यात्मिक जागरूकता और आत्मबल को बढ़ाता है।
- स्वास्थ्य, समृद्धि और जीवन में संतुलन बनाए रखता है।