दुर्गा गायत्री मंत्र: देवी माँ की कृपा प्राप्त करने का दिव्य माध्यम

दुर्गा गायत्री मंत्र
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दुर्गा गायत्री मंत्र एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र स्तोत्र है, जो माँ दुर्गा की उपासना में विशेष महत्व रखता है। यह मंत्र भक्तों को न केवल आत्मबल और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों को भी सरल बना देता है। इस लेख में हम Durga Gayatri Mantra के जप की विधि, इसके लाभ और इसका महत्व एक सरल और प्राकृतिक भाषा में समझाएंगे।

Durga Gayatri Mantra


ओम् कात्यान्ये च विद्मिहे कन्याकुमार्ये धीमहि,
तन्नो: देवी  प्रचोदयात।

ओम् गिरिजायये  विद्मिहे शिवप्रियाये धीमहि,
तन्नो: दुर्गा  प्रचोदयात।

दुर्गा गायत्री मंत्र केवल एक मंत्र नहीं बल्कि माँ की शक्ति का सार है। जो भी श्रद्धा, नियम और विश्वास के साथ इसका जप करता है, उसे माँ दुर्गा की असीम कृपा प्राप्त होती है। इस दिव्य मंत्र के माध्यम से आप जीवन के हर क्षेत्र में विजय प्राप्त कर सकते हैं और आत्मिक शांति भी अनुभव कर सकते हैं।

जप की विधि

  • प्रातःकाल स्नान कर साफ वस्त्र पहनें।
  • पूजन स्थान पर माँ दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • शुद्ध आसन (कुश या लाल वस्त्र) पर पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख कर बैठें।
  • एक दीपक जलाएं और अगरबत्ती लगाएं।
  • माँ दुर्गा को लाल फूल, अक्षत और सिंदूर अर्पित करें।
  • ध्यानपूर्वक दुर्गा गायत्री मंत्र का 11, 21, या 108 बार जप करें।
  • जप के लिए रुद्राक्ष या चंदन की माला का उपयोग करें।
  • अंत में आरती करें और माँ से मनोकामना पूर्ति की प्रार्थना करें।

मंत्र के लाभ

  1. साहस और आत्मबल की प्राप्ति: यह मंत्र मानसिक शक्ति और आत्मविश्वास को बढ़ाता है।
  2. सभी बाधाओं का नाश: जीवन में आने वाली नकारात्मक शक्तियों और विघ्नों को दूर करता है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा का संचार: घर और मन दोनों में सकारात्मक वातावरण का निर्माण करता है।
  4. मनोकामना पूर्ति: इस मंत्र का नियमित जप करने से भक्त की इच्छाएँ पूर्ण होती हैं।
  5. सुख-समृद्धि और शांति: परिवार में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
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