स्व. श्री श्रीकांत तिवारी ‘गुरुजी’ की पुण्य स्मृति में आर. एस. शिवमूर्ति पब्लिक स्कूल में भव्य हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन

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वाराणसी के गोविंदपुर स्थित आर. एस. शिवमूर्ति पब्लिक स्कूल में आज दिनांक 1 मई 2025 को हॉकी जगत के 70 के दशक के चमकते सितारे और डी एरियों के बादशाह, स्व. श्री श्रीकांत तिवारी ‘गुरुजी’ की चतुर्थ पुण्यतिथि के अवसर पर एक भव्य पुण्य स्मृति समारोह एवं हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह आयोजन बनारस इंडिपेंडेंट क्लब के तत्वाधान में आयोजित हुआ, जिसमें गुरुजी को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और उनकी स्मृति को समर्पित करते हुए हॉकी प्रतियोगिता का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम का आरंभ प्रातः 7 बजे हुआ और यह 9 बजे तक चला। आयोजन स्थल पर गुरुजी के मित्र, शिष्य, परिजन और समेत दर्जनों लोग उपस्थित रहे। इस अवसर पर आर. एस. शिवमूर्ती पब्लिक स्कूल के निदेशक योगेंद्र प्रताप सिंह प्रिंसिपल राकेश तिवारी कॉर्डिनेटर अंजलि मिश्रा व समस्त शिक्षकगण, स्टाफ सदस्य एवं छात्र-छात्राएं भी शामिल हुए। गुरुजी के प्रति श्रद्धा और सम्मान से ओतप्रोत माहौल में सभी ने मिलकर उनकी शिक्षाओं और उनके खेल के प्रति योगदान को याद किया।

स्व. श्रीकांत तिवारी, जिन्होंने अपने समय में हॉकी को नई ऊँचाइयाँ दीं, युवाओं के लिए सदैव प्रेरणा स्रोत रहे हैं। उनके खेल के प्रति समर्पण, अनुशासन और नेतृत्व कौशल ने न केवल उन्हें एक महान खिलाड़ी बनाया, बल्कि उन्हें ‘गुरुजी’ की उपाधि भी दिलाई। उनकी स्मृति में आयोजित यह हॉकी प्रतियोगिता उनके खेल और शिक्षण को जीवंत रखने का एक सुंदर प्रयास रहा।

प्रतियोगिता में वाराणसी से विभिन्न टीमों ने भाग लिया और खिलाड़ियों ने अपने उत्कृष्ट खेल कौशल का प्रदर्शन किया। यह आयोजन न केवल खेल भावना को प्रोत्साहित करने वाला रहा, बल्कि गुरुजी की स्मृतियों को सजीव कर देने वाला भावुक क्षण भी बना। सभी खिलाड़ियों ने स्व. श्रीकांत तिवारी को अपनी प्रेरणा बताया और उनके आदर्शों को अपने जीवन में अपनाने का संकल्प लिया।

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कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागी टीमों को सम्मानित किया गया और आयोजकों ने घोषणा की कि प्रत्येक वर्ष इसी तिथि पर यह प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी, ताकि युवा पीढ़ी स्व. श्रीकांत तिवारी जी के जीवन से प्रेरणा ले सके। समस्त आयोजन अनुशासन और गरिमा के साथ संपन्न हुआ और श्रद्धांजलि सभा में सभी की आँखें नम थीं, पर दिलों में एक दृढ़ संकल्प था—गुरुजी के सपनों को आगे बढ़ाने का।

इस आयोजन ने यह सिद्ध कर दिया कि महान व्यक्तित्व भले ही शारीरिक रूप से हमारे बीच न रहें, परंतु उनके विचार, योगदान और स्मृतियाँ सदा हमारे साथ रहती हैं।