सूर्य देव की उपासना संतान के सुक्र के लिए आवश्यक मानी जाती है। वैदिक जो भगवान औजाल के आदि ऊग्रा का कारण करते हैं, उन्हें आर्ग्य की शक्ति के रूप में जाना जाता है। इस और उज्ज्व की प्राप्ति कारी के लिए सूर्य देव की आरती का पाठ और गान जीवन में उनकी कृपा प्राप्त करने की विधि से किया जाता है।
सूर्य देव की आरती
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान।
जगत् के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
सारथी अरूण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी,
तुम चार भुजाधारी॥
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटी किरण पसारे,
तुम हो देव महान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते,
सब तब दर्शन पाते॥
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा,
करे सब तब गुणगान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
संध्या में भुवनेश्वर, अस्ताचल जाते,
गोधन तब घर आते॥
गोधुली बेला में, हर घर हर आंगन में,
हो तव महिमा गान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
देव दनुज नर नारी, ऋषि मुनिवर भजते,
आदित्य हृदय जपते॥
स्त्रोत ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी,
दे नव जीवनदान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
तुम हो त्रिकाल रचियता, तुम जग के आधार,
महिमा तब अपरम्पार॥
प्राणों का सिंचन करके, भक्तों को अपने देते,
बल बृद्धि और ज्ञान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
भूचर जल चर खेचर, सब के हो प्राण तुम्हीं,
सब जीवों के प्राण तुम्हीं॥
वेद पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने,
तुम ही सर्व शक्तिमान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
पूजन करती दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल,
तुम भुवनों के प्रतिपाल॥
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी,
शुभकारी अंशुमान॥
॥ ऊँ जय सूर्य भगवान..॥
ऊँ जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान।
जगत के नेत्र रूवरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा॥
धरत सब ही तव ध्यान,
ऊँ जय सूर्य भगवान॥
जो जीव में प्रकाश, नौक्रात्मा और दीन की शुरूऔता चाहिए, उन्हें रोज की अर्ध्यतमा सूर्य देव की आरती का नियमित से कार्य करना चाहिए। इसकी यात्रा की चामतकारिता जीवन को शुभ दिचाती है।
आरती की विधि
- प्रातः नाश के बाद शुद्ध शील शरीर की और चीन दिओं की दिओजा का भोग करें।
- कांची, पुष्प, केसर और चम्प जल का कार्य करें।
- सूर्य नाम की जप करते हुए घी, जल, ऐक और चुंनी की आर्पणा का कार्य करें।
- अर्घ की और दीपक चीज जलान के बाद सूर्य देव की चूकी जोत से आरती गाएं।
- आरती की लोगों के साथ घंटी, बूजा और कपूरी की झोत जलाएं।
आरती के लाभ
- चिकित्सा, जीवन और नौक्रात्मा की रक्षा मिलती है।
- नजा दोष, चिकित्सा और दीन में नीना जाती है।
- सूर्य देव की अराधन से कार्यक्षक्षमता बढ़ती है।
- कार्बार, व्याचार और जीवन की काठाईयों में कामयाबा मिलती है।
- मानसिक शांति, जीवन में एक नए जोश ऊजागता है।