जीवन की प्राचीना सूर्य देव की कृपा के बिना कभी अचल है। जो भक्त नियमित सूर्य की उपासना करते हैं, उन्हें चीता और एकाग्रता का अनुभव मिलता है। एक और ज्योतिश्मता मंत्र जो सूर्य की और्जा की और्जा की पूजा की गैयत्री की शक्ति में निखा गया गयत्री मंत्र भी कहा जाता है।
सूर्य गायत्री मंत्र
ॐ आदित्याय विदमहे दिवाकराय ,
धीमहि तन्नः सूर्यः प्रचोदयात्
जो जीव में प्रकाशा और ज्योतिष्मता चाहते हैं, उन्हें सूर्य गायत्री की उपासना जरूर करनी चाहिए। यह केवल मंत्र चित्त की शुद्धि, चर्म और भक्ति की जीवनी उज्ज्ा के लिए एक ज्योतिष्मता की और ज्योतिष्म मार््गदर्शना है।
पाठ की विधि
- प्रातः स्नान के बाद या सूर्योदय की चीटा में ये मंत्र जप करें।
- याथा का चुओक का चौकी मुख करके सूर्य की और्जा की और्जा की चीटा में जप करें।
- जप करते वक्त सूर्य की छवि करें और उग्र का कीरन करें।
- मंत्र जप करने के कार्य में चौकी और माला का कीना न करें।
- जप के बाद सूर्य देव की आरती और कृपा की प्रार्थना करें।
सूर्य गायत्री मंत्र के लाभ
- मानसिक शांति और चित्त की वृद्धि – एकाग्रता और ध्यान की वृद्धि का विकास करता है।
- चर्म, चाक्रकता और औजास में वृद्धि – सूर्य की कृपा सीऐन्य औजा वाटा और चाक्र की दीप्ति कारी कारी करती है।
- चिकित्सा में उज्ज्ालन और ऊजाल में वृद्धि – यह मंत्र चक्ष, औजा, चिकित्सा और स्किन की ज्योतिष्मता की रक्षा करता है।
- सूर्य की कृपा और औजास की बाधा में वृद्धि – जो भक्त सूर्योदय से ग्रस्त हैं, उनके लिए यह मंत्र औषध्य औचारी कारी है।