शीतला माता आरती: रोगों से रक्षा और शुद्धता की देवी की स्तुति

शीतला माता आरती
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शीतला माता की पूजा विशेष रूप से चैत्र मास की अष्टमी को की जाती है, जिन्हें रोगों की नाशक देवी माना गया है। विशेषकर चेचक, बुखार और अन्य संक्रामक रोगों से बचाव के लिए माता की आराधना की जाती है। इस लेख में हम आपको “Sheetla Mata Aarti” की महिमा, पूजा विधि, लाभ और आरती लिरिक्स के साथ एक संपूर्ण मार्गदर्शन देंगे।

शीतला माता आरती


जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥

रतन सिंहासन शोभित,
श्वेत छत्र भाता ।
ऋद्धि-सिद्धि चँवर ढुलावें,
जगमग छवि छाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

विष्णु सेवत ठाढ़े,
सेवें शिव धाता ।
वेद पुराण वरणत,
पार नहीं पाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

इन्द्र मृदङ्ग बजावत,
चन्द्र वीणा हाथा ।
सूरज ताल बजावै,
नारद मुनि गाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

घण्टा शङ्ख शहनाई,
बाजै मन भाता ।
करै भक्तजन आरती,
लखि लखि हर्षाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

ब्रह्म रूप वरदानी,
तुही तीन काल ज्ञाता ।
भक्तन को सुख देती,
मातु पिता भ्राता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

जो जन ध्यान लगावे,
प्रेम शक्ति पाता ।
सकल मनोरथ पावे,
भवनिधि तर जाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

रोगों से जो पीड़ित कोई,
शरण तेरी आता ।
कोढ़ी पावे निर्मल काया,
अन्ध नेत्र पाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

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बांझ पुत्र को पावे,
दारिद्र कट जाता ।
ताको भजै जो नाहीं,
सिर धुनि पछताता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

शीतल करती जननी,
तू ही है जग त्राता ।
उत्पत्ति व्याधि बिनाशन,
तू सब की घाता ॥

ॐ जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।

दास विचित्र कर जोड़े,
सुन मेरी माता ।
भक्ति आपनी दीजै,
और न कुछ भाता ॥

जय शीतला माता,
मैया जय शीतला माता ।
आदि ज्योति महारानी,
सब फल की दाता ॥
ॐ जय शीतला माता..॥

शीतला माता की आरती एक आध्यात्मिक साधना है, जो न केवल शारीरिक रोगों से रक्षा करती है, बल्कि मानसिक रूप से भी शक्ति देती है। जो भक्त सच्चे मन से शीतला माता की आराधना करते हैं, वे जीवन में समृद्धि, स्वास्थ्य और शांति प्राप्त करते हैं। यदि आप भी इनका आशीर्वाद चाहते हैं, तो विधिपूर्वक आरती करें और लाभ प्राप्त करें।

शीतला माता की पूजा विधि

  • चैत्र मास की अष्टमी तिथि को व्रत रखें।
  • एक दिन पूर्व बिना पका भोजन (बासी) तैयार करें, जैसे पूड़ी, चावल, हलवा।
  • प्रातः काल स्नान के बाद शीतला माता की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
  • बासी भोजन माता को अर्पित करें।
  • सच्चे मन से शीतला माता की आरती करें।
  • माँ का स्मरण करते हुए प्रसाद वितरित करें।
  • दिनभर उपवास रखें और माता का ध्यान करें।

शीतला माता पूजन के लाभ

  1. रोग निवारण – चेचक, खसरा, बुखार जैसे रोगों से सुरक्षा मिलती है।
  2. शुद्धता की प्राप्ति – शरीर और मन दोनों की शुद्धता होती है।
  3. संतान रक्षा – छोटे बच्चों को होने वाले रोगों से बचाव होता है।
  4. परिवार में सुख-शांति – माता की कृपा से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
  5. मनोकामना पूर्ति – श्रद्धा से पूजा करने पर इच्छाएँ पूरी होती हैं।