RS Shivmurti

सामाजिक समरसता पर देना होगा जोर : प्रो. आनन्द कुमार त्यागी

खबर को शेयर करे
RS Shivmurti

राजनीति विज्ञान विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ द्वारा ‘नागरिकता एवं लोकतंत्र’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित

RS Shivmurti

वाराणसी। राजनीति विज्ञान विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ द्वारा आयोजित तथा पंचपरमेश्वर विद्यापीठ, विश्व युवक केंद्र, नई दिल्ली एवं राजकीय बालिका महाविद्यालय, सेवापुरी, वाराणसी के सहयोग से गुरुवार को ‘नागरिकता एवं लोकतंत्र’ विषयक एक दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला समिति कक्ष में आयोजित हुई। अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी ने कहा कि नागरिकता की सर्वमान्य परिभाषा नहीं दी जा सकती है। कुछ लोग नागरिक बनने के लायक भी नहीं होते उनको नागरिकता मिल जाती है। लोकतंत्र में समानता के अधिकार, बोलने की आजादी होनी चाहिए, लेकिन अब खुले तौर पर गरिमा का उल्लंघन हो रहा है। अब लोकतंत्र का स्वरूप बाधित हो रहा है। आज राजनीतिक विश्लेषक और धार्मिक गुरु का दायित्व है कि समाज का सुजन कैसे करना है। सामाजिक समरसता पर जोर देना होगा। राष्ट्रीयता का स्वरूप मानवतावादी होना चाहिए।

तीसरी सरकार अभियान के संस्थापक एवं पंचपरमेश्वर विद्यापीठ के अध्यक्ष डॉ. चंद्रशेखर प्राण ने कहा कि भारत में लोग रहते हैं, जबकि जापान में नागरिक रहते हैं। अपने नागरिकों के कारण ही जापान एक विकसित राष्ट्र की श्रेणी में है। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद सबसे पहले हमने नागरिकता के अधिकार को स्वीकृत किया।

मुख्य वक्ता प्रो. रजनी रंजन झा, पूर्व संकाय प्रमुख काशी हिंदू विश्विद्यालय ने अपने संबोधन में अरस्तू की चर्चा करते हुए नागरिकता के प्रकारों को विश्लेषित किया। उन्होंने कहा कि गांधी ने चेताया था कि सबको नागरिकता नहीं देनी चाहिए। वास्तव में 73वें संविधान संशोधन के बाद देश में नागरिकता का विकास हुआ है।

इसे भी पढ़े -  निर्माण कार्य आवागमन में बाधक न बने-रविन्द्र जायसवाल

पूर्व सचिव, पंचायतीराज भारत सरकार के सुनील कुमार ने ऑनलाइन संबोधन करते हुए स्थानीय शासन और ग्राम सभा पर बल दिया। उन्होंने कहा कि गांवों का प्रत्येक मतदाता उसका सदस्य होता है। भारत सरकार को मोहल्ला सभा को विकसित करना चाहिए। विशिष्ट अतिथि सदस्य गवर्निंग काउसिंल, इण्डिया पंचायत फाउण्डेशन, चेन्नई, श्रीराम पप्पू ने बताया कि सबसे पहले बदलाव गांव के स्तर पर होना चाहिए। सरकारी नीतियों के मापन के लिए सबसे चचित वर्ग के ऊपर प्रभाव को देखना चाहिए। सबसे पहले व्यक्तिगत विकास फिर सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरण और संस्थागत होना चाहिए। एस.जी.टी. यूनिवर्सिटी की विधि संकाय प्रमुख डॉ. ऋचा चौधरी ने अपने उद्धोधन में संविधान के उद्देश्यों की चर्चा करते हुए संविधान की मूल भावना को रेखांकित किया और न्याय, समानता, स्वतंत्रता के विमर्श के रूप में नागरिकता और लोकतंत्र की बात रखी। कार्यशाला में वरिष्ठ कार्यक्रम अधिकारी विश्व युवक केन्द्र, नई दिल्ली, अजीत राय, एस.जी.टी. यूनिवर्सिटी की डॉ. रितिका दधिची, एनआईआरडीए के डॉ. लाखन सिंह ने भी अपने विचार व्यक्त किये।

स्वागत एवं विषय प्रस्तावना विभागाध्यक्ष प्रो. मोहम्मद आरिफ ने किया। संचालन डॉ. रवि प्रकाश सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन प्रो. रवि प्रकाश गुप्ता ने किया। इस अवसर पर प्रो. सूर्यभान प्रसाद, प्रो. के.के. सिंह, डॉ. रेशम लाल, डॉ. विजय कुमार, डॉ. पीयूष मणि त्रिपाठी, डॉ. जयदेव पाण्डेय, डॉ. मिधिलेश, डॉ. ज्योति, प्रो. अनुपम शाही के साथ-साथ 150 से अधिक शोध एवं परास्नातक के छात्र-छात्राओं की उपस्थिति रही।

Jamuna college
Aditya