

महाकुंभ के पवित्र अवसर पर, जहां हर साल लाखों श्रद्धालु गंगा-यमुना के संगम में स्नान करने के लिए आते हैं, इस बार एक अद्वितीय और विशेष पहल देखने को मिल रही है। रूस और यूक्रेन के बीच पिछले तीन वर्षों से जारी विनाशकारी युद्ध को खत्म करने के उद्देश्य से, महाकुंभ में उपस्थित साध्वियां शांति और प्रेम के बीज उगाने के लिए एकत्र हो रही हैं। यह पहल न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और राजनीतिक संदेश भी देती है, जिससे शांति और सद्भाव की उम्मीदें जागृत हो सकती हैं।

रूस और यूक्रेन की साध्वियों का शांति महायज्ञ में भाग लेना
यूक्रेन और रूस के बीच युद्ध ने न केवल इन दोनों देशों को बल्कि पूरी दुनिया को प्रभावित किया है। इस संघर्ष को खत्म करने के लिए कई देशों ने मध्यस्थता की कोशिश की, लेकिन कोई ठोस समाधान नहीं निकला। अब महाकुंभ के पवित्र अवसर पर, रूस की साध्वी उत्तमिका ओम गिरि और यूक्रेन की आदिशक्ति सती माता शांति और सद्भाव के लिए विशेष प्रयास कर रही हैं। वे दोनों मिलकर एक ही हवन कुंड पर शिवशक्ति महायज्ञ में आहुतियां देंगी, ताकि युद्ध की जंग को खत्म कर शांति की एक नई बयार दोनों देशों में बह सके।
शिवशक्ति महायज्ञ का महत्व और उसका उद्देश्य
यह महायज्ञ सेक्टर-18 में 25 से 30 जनवरी तक चलेगा और इसमें दुनिया भर के 200 से अधिक साधु-संत शांति की आहुतियां देंगे। इस महायज्ञ की प्रमुख जिम्मेदारी यूक्रेन के संत महामंडलेश्वर स्वामी विष्णुदेवा नंद खुद ले रहे हैं। वे इस महायज्ञ के माध्यम से रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को खत्म करने का प्रयास कर रहे हैं। उनके साथ जापान और कनाडा के संत भी इस महायज्ञ में हिस्सा ले रहे हैं। स्वामी विष्णुदेवा नंद का मानना है कि महाकुंभ के इस अद्वितीय मौके पर एकजुट होकर की गई साधना, दोनों देशों के लिए शांति और सद्भाव का मार्ग प्रशस्त कर सकती है।
स्वामी विष्णुदेवा नंद का कहना है, “हमारा उद्देश्य केवल एक धार्मिक अनुष्ठान करना नहीं है, बल्कि हम शांति की भावना को दोनों देशों तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। इस महायज्ञ में आहुतियां देकर हम दुनिया को यह संदेश देना चाहते हैं कि युद्ध केवल विनाश लाता है और शांति से ही जीवन में समृद्धि और सुख का मार्ग प्रशस्त होता है।”
साध्वी उत्तमिका ओम गिरि और आदिशक्ति सती माता की शांति की दुआएं
उत्तमिका ओम गिरि, रूस की साध्वी, महाकुंभ में शांति के लिए अपनी भागीदारी पर गर्व महसूस करती हैं। वे कहती हैं, “दोनों देशों में शांति की नई बयार लाने की जरूरत है। रूस की धरती पर अब तक बहुत रक्तपात हो चुका है और यह समय है कि हम सभी मिलकर इस युद्ध को समाप्त करने के प्रयास करें।” वह यह भी बताती हैं कि युद्ध के कारण उनके देश के लोग लगातार तबाही और पीड़ा का सामना कर रहे हैं। “यूक्रेन की धरती पर हर जगह बारूदी धुएं के गुबार, खौफ और दहशत फैली हुई है। हम शांति के लिए यहां एकत्रित हुए हैं, ताकि दोनों देशों के बीच संघर्ष समाप्त हो सके,” उत्तमिका ओम गिरि ने कहा।
वहीं आदिशक्ति सती माता, जो यूक्रेन की साध्वी हैं, महायज्ञ में अपनी भागीदारी को एक आशीर्वाद मानती हैं। वे बताती हैं, “हमारी मातृभूमि, यूक्रेन, आज एक ऐसी स्थिति में है, जहां हर कदम पर खतरा मंडरा रहा है। लेकिन हम यहां महाकुंभ में शांति के संदेश को फैलाने के लिए आए हैं। हम शिवशक्ति महायज्ञ में आहुतियां देंगे और मां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी में स्नान करके शांति के लिए आशीर्वाद मांगेंगे।”
कुंडलिनी जागरण की दिशा में सती माता का योगदान
सती माता के बारे में यह भी बताया जा रहा है कि वह महाकुंभ में कुंडलिनी जागरण के अभ्यास की दिशा में भी लोगों को प्रशिक्षण दे रही हैं। उन्होंने फेसबुक पर एक ऑनलाइन कुंडलिनी पाठ्यक्रम की शुरुआत की है, जिससे लोग घर बैठे भी इस गहन साधना को सीख सकें। सती माता का मानना है कि कुंडलिनी जागरण से ही मानसिक अवसाद और तनाव से मुक्ति पाई जा सकती है। यह एक गहरी साधना है, जो व्यक्ति को शांति और आत्म-निर्भरता की ओर मार्गदर्शित करती है। सती माता के अनुसार, “कुंडलिनी जागरण न केवल मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि यह शारीरिक और मानसिक समस्याओं से भी मुक्ति दिलाता है।”
महाकुंभ में शांति का संदेश
महाकुंभ की यह शांति महायज्ञ न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक महत्वपूर्ण संदेश लेकर आया है। जहां एक ओर महाकुंभ का धार्मिक महत्व है, वहीं इस बार इसका शांति के प्रचार-प्रसार में भी योगदान देखने को मिल रहा है। रूस और यूक्रेन जैसे युद्धग्रस्त देशों के साध्वियों का इस महायज्ञ में भाग लेना, एक संकेत है कि जब तक हम सब मिलकर शांति की कोशिश नहीं करेंगे, तब तक संघर्ष और हिंसा का अंत नहीं होगा।