नई दिल्ली: देश में स्वच्छता अभियान को लेकर सरकार की लगातार मेहनत और लोगों में सफाई के प्रति जागरूकता बढ़ने से कचरा रिसाइकिल उद्योग को नई गति मिली है। इस क्षेत्र में तेजी से विकास हो रहा है और इसमें बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिल रहा है। देश के शहरी इलाकों में हर दिन उत्पन्न होने वाले कचरे का रिसाइक्लिंग इस उद्योग का भविष्य है। उद्योग से जुड़ी कंपनियां अपनी रिसाइक्लिंग क्षमता बढ़ाने के लिए नई तकनीकों में भारी निवेश कर रही हैं और पर्यावरण संरक्षण पर भी खास ध्यान दे रही हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आने वाले वर्षों में कचरा रिसाइक्लिंग उद्योग की गति और आकार दोनों में वृद्धि होगी।
कचरा रिसाइक्लिंग उद्योग का भविष्य
कचरा रिसाइक्लिंग उद्योग के बारे में बात करते हुए, रीसस्टेनिबिलिटी लि. के प्रबंध निदेशक और सीईओ मसूद मलिक ने बताया कि वर्तमान में देश के शहरी इलाकों से लगभग तीन लाख टन कचरा रोजाना निकलता है, जिसमें से केवल 20 फीसदी कचरे का ही रिसाइक्लिंग किया जा पाता है। इस आंकड़े से यह स्पष्ट है कि कचरा रिसाइक्लिंग क्षेत्र में अपार संभावनाएं हैं। सरकार और उद्योग की इस दिशा में लगातार कोशिशों के परिणामस्वरूप, इस उद्योग का आकार 2030 तक बढ़कर तीन लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। वर्तमान में यह उद्योग 60,000 करोड़ रुपये का है, लेकिन अगर कचरा रिसाइक्लिंग की क्षमता और तकनीकों में सुधार होता है, तो यह क्षेत्र आर्थिक दृष्टिकोण से और भी महत्वपूर्ण बन जाएगा।
रोजगार सृजन में भी बड़ी भूमिका
कचरा रिसाइक्लिंग उद्योग को रोजगार के मामले में भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। फिलहाल इस क्षेत्र में 1.25 लाख से अधिक लोग काम कर रहे हैं, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि इस उद्योग के विस्तार के साथ 2030 तक यह आंकड़ा 11 लाख से अधिक हो सकता है। सरकार और कंपनियां कचरा रिसाइक्लिंग के मामले में नई तकनीकों को अपनाकर कार्य करने के साथ-साथ स्थानीय समुदायों को रोजगार देने में भी सहयोग कर रही हैं। यह न केवल पर्यावरण के लिए लाभकारी है, बल्कि इससे रोजगार के नए अवसर भी उत्पन्न हो रहे हैं।
नई तकनीकों का निवेश और पर्यावरण पर ध्यान
कचरा रिसाइक्लिंग उद्योग में बढ़ते हुए निवेश के कारण कई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे न केवल रिसाइक्लिंग की क्षमता बढ़ी है, बल्कि पर्यावरण को भी फायदा हुआ है। कचरे के पुनः उपयोग से कच्चे माल की आवश्यकता कम हो रही है और यह कार्बन उत्सर्जन को भी नियंत्रित करने में मददगार साबित हो रहा है। इसके अलावा, कचरा रिसाइक्लिंग से निकलने वाली वस्तुएं जैसे खाद, टाइल्स, पॉलीबैग्स, बिजली, और अन्य उत्पादों की मदद से इस उद्योग को व्यावसायिक रूप से भी काफी लाभ हो रहा है।
देश के प्रमुख शहरों में कचरा रिसाइक्लिंग प्लांट्स
कचरा रिसाइक्लिंग के क्षेत्र में एक बड़ा कदम यह है कि कई प्रमुख कंपनियां अपनी रिसाइक्लिंग क्षमता बढ़ाने के लिए कचरा प्लांट्स स्थापित कर रही हैं। रीसस्टेनिबिलिटी लि. नामक कंपनी इस दिशा में महत्वपूर्ण कार्य कर रही है। इस कंपनी के कचरा रिसाइक्लिंग प्लांट्स हैदराबाद और देश के अन्य हिस्सों में पहले से ही कार्यरत हैं। अब यह कंपनी उत्तर प्रदेश के लखनऊ में भी एक नया कचरा रिसाइक्लिंग प्लांट स्थापित करने की योजना बना रही है।
सिंगापुर समेत 11 देशों में विस्तार
रीसस्टेनिबिलिटी लि. की स्थापना 5,000 करोड़ रुपये की कंपनी है और यह सिंगापुर समेत 11 देशों में फैली हुई है। कंपनी न सिर्फ कचरा रिसाइक्लिंग करती है, बल्कि रिसाइक्लिंग के माध्यम से बहुत सारे उत्पाद भी बनाती है। इनमें खाद, टाइल्स, पॉलीबैग, बिजली और अन्य सामान शामिल हैं। यह कंपनी अपने अनुसंधान और विकास विभागों के जरिए निरंतर कचरा रिसाइक्लिंग तकनीकों में नवाचार करने के लिए प्रयासरत है। इसके अलावा, यह कंपनी अपने उत्पादों को पर्यावरण के अनुकूल बनाकर पर्यावरण संरक्षण में भी योगदान दे रही है।
स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की दिशा में सरकार की पहल
सरकार का प्रयास है कि स्वच्छता अभियान को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाई जाए, ताकि कचरे का समुचित प्रबंधन किया जा सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में स्वच्छ भारत मिशन के तहत देशभर में सफाई और कचरे के निपटान के उपायों को लेकर जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके साथ-साथ, सरकार ने कचरा प्रबंधन और रिसाइक्लिंग को प्रोत्साहित करने के लिए नई नीतियां बनाई हैं, ताकि कचरे का उपयोग पुनः किया जा सके और पर्यावरण को नुकसान न पहुंचे।
कचरा प्रबंधन और रिसाइक्लिंग उद्योग की बढ़ती भूमिका
कचरा प्रबंधन और रिसाइक्लिंग के इस क्षेत्र में बढ़ते निवेश और तकनीकी नवाचार ने उद्योग के आकार को और भी बड़ा कर दिया है। 2030 तक कचरा रिसाइक्लिंग उद्योग का आकार तीन लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है, जो कि वर्तमान में केवल 60,000 करोड़ रुपये है। यह उद्योग अब न केवल पर्यावरण के लिए महत्वपूर्ण हो गया है, बल्कि यह रोजगार सृजन, संसाधनों के पुनर्चक्रण और विभिन्न उद्योगों के लिए कच्चे माल की आपूर्ति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा भी बन चुका है।