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यूपी विधानसभा सत्र: बिजली के निजीकरण पर सत्ता पक्ष और विपक्ष में टकराव

यूपी विधानसभा सत्र
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यूपी विधानसभा सत्र के तीसरे दिन बिजली के निजीकरण का मुद्दा चर्चा का मुख्य केंद्र रहा। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखे सवाल-जवाब हुए। समाजवादी पार्टी (सपा) के सदस्यों ने इस मुद्दे पर सरकार को आड़े हाथों लिया, जबकि ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने सरकार का पक्ष रखा।

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सपा ने सरकार पर लगाए निजीकरण के आरोप


सदन की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई। सपा नेताओं ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी सरकार के दौरान प्रदेश में बिजली व्यवस्था में सुधार हुआ था। इंफ्रास्ट्रक्चर पर भी काफी काम किया गया था। सपा नेताओं का कहना था कि अब सरकार बिजली का निजीकरण कर रही है, जिससे बिजली महंगी हो जाएगी और आम जनता पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा।

सपा विधायक रागिनी सोनकर का हमला


सपा विधायक रागिनी सोनकर ने ऊर्जा विभाग पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि समाजवादी सरकार ने 17 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन सुनिश्चित किया था। लेकिन वर्तमान सरकार उस उत्पादन को डबल करने में असफल रही है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा लगाए गए ट्रांसफार्मर तुरंत खराब हो जाते हैं। सपा विधायक ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार बिजली विभाग को बेचने का प्रयास कर रही है और समाजवादी पार्टी की मेहनत पर काम कर रही है।

ऊर्जा मंत्री का जवाब


ऊर्जा मंत्री अरविंद कुमार शर्मा ने विपक्ष के आरोपों का खंडन किया। उन्होंने कहा कि योगी सरकार के कार्यकाल में करोड़ों लोगों को बिजली कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। अब बिजली सिर्फ कुछ जिलों तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में उपलब्ध है।

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विधानसभा में नेताओं की आपसी मुलाकात
सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले सभी दलों के नेता आपस में मिले। इस दौरान कांग्रेस विधायक दल की नेता आराधना मिश्रा मोना ने सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव के पैर छूकर उनका आशीर्वाद लिया।

खाद्य आयोग के गठन पर उप मुख्यमंत्री का बयान


विधान परिषद में उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने जानकारी दी कि प्रदेश में खाद्य आयोग के गठन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस माह आयोग के अध्यक्ष और सदस्यों के रिक्त पदों को भरने के लिए विज्ञापन जारी किया जाएगा।

निष्कर्ष


यूपी विधानसभा सत्र के तीसरे दिन सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बिजली के निजीकरण को लेकर तीखी बहस देखने को मिली। सपा ने जहां निजीकरण को आम जनता के हितों के खिलाफ बताया, वहीं सरकार ने अपने फैसलों का बचाव करते हुए विकास कार्यों का उल्लेख किया। आगामी दिनों में यह मुद्दा और गर्मा सकता है।

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