समस्तीपुर में गम और गुस्से का माहौल
बिहार के समस्तीपुर जिले के पूसा इलाके में अग्रवाल परिवार शोक और गुस्से में है। उनके इंजीनियर बेटे, अतुल सुभाष, ने बेंगलुरु में आत्महत्या कर ली। यह घटना दहेज कानूनों के कारण पुरुषों पर होने वाले अन्याय की ओर इशारा करती है। परिजनों का कहना है कि अतुल ने अपनी जान देकर सरकार और समाज को जागरूक करने की कोशिश की है।
पूसा के निवासी थे अतुल सुभाष
अतुल सुभाष मूल रूप से समस्तीपुर के पूसा इलाके के रहने वाले थे। यहां उनका परिवार कृषि विश्वविद्यालय के कारण प्रसिद्ध है। उनकी मौत की खबर से पूरा इलाका सदमे में है। परिवार के सदस्य और आसपास के लोग कह रहे हैं कि दहेज कानून का एकतरफा इस्तेमाल पुरुषों के साथ अन्याय करता है।
शादी के बाद शुरू हुई परेशानियां
अतुल की शादी 2019 में हुई थी। शादी के बाद से ही वे मानसिक रूप से परेशान रहने लगे। उनके ससुराल वालों ने उन पर दहेज प्रताड़ना के आरोप लगाते हुए केस किया। परिजनों का कहना है कि दहेज कानून ने अतुल की जान ले ली।
बेंगलुरु पुलिस की कार्रवाई
अतुल की मौत के बाद बेंगलुरु पुलिस ने उनकी पत्नी निकिता सिंघानिया और ससुराल वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। पुलिस इस मामले की जांच कर रही है।
आत्महत्या से पहले वीडियो और पत्र
80 मिनट का वीडियो और 24 पेज का पत्र
अतुल सुभाष ने आत्महत्या करने से पहले 9 दिसंबर को एक 80 मिनट का वीडियो और 24 पेज का पत्र सोशल मीडिया पर जारी किया। उन्होंने इसमें अपनी पत्नी, सास, साले और चचेरे ससुर को मौत का जिम्मेदार बताया।
सास के अपमानजनक शब्द
अतुल ने पत्र में लिखा कि उनकी सास उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाती थीं। सास ने कहा, “तुमने अब तक सुसाइड क्यों नहीं किया? तुम्हारे मरने के बाद मेरी बेटी का सबकुछ होगा।” इन अपमानजनक शब्दों ने अतुल को मानसिक रूप से तोड़ दिया।
न्याय की मांग और अंतिम इच्छाएं
परिजनों के लिए न्याय की अपील
अतुल ने अपने पत्र में लिखा कि उनके मरने के बाद उनकी पत्नी या ससुराल वाले उनके शव के पास न आएं। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी अस्थियों का विसर्जन तब तक न किया जाए, जब तक दोषियों को सजा न मिल जाए।
जज पर भी लगाए गंभीर आरोप
अतुल ने एक जज पर रिश्वत मांगने का आरोप लगाया। उन्होंने लिखा कि केस को रफा-दफा करने के लिए उनसे 5 लाख रुपये की मांग की गई थी। उन्होंने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट से न्याय की गुहार लगाई।
क्या दहेज कानून में बदलाव की जरूरत है?
अतुल सुभाष की मौत ने दहेज कानूनों के एकतरफा उपयोग पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। परिजनों और समाज का कहना है कि यह घटना सरकार और न्यायपालिका के लिए एक चेतावनी है। इस कानून में बदलाव कर इसे संतुलित बनाने की जरूरत है।
समाज के लिए सबक
अतुल का यह कदम सिर्फ एक व्यक्ति की हार नहीं है, बल्कि समाज और व्यवस्था के लिए एक बड़ा सवाल है। सरकार को इस घटना से सीख लेकर दहेज कानूनों में सुधार करना चाहिए ताकि निर्दोष लोग ऐसे कानूनों का शिकार न बनें।
निष्कर्ष
अतुल सुभाष की आत्महत्या ने दहेज कानूनों की कमियों और पुरुषों पर इसके दुरुपयोग को उजागर किया है। अब यह समय है कि सरकार और समाज इस ओर ध्यान दें और जरूरी बदलाव करें ताकि किसी और परिवार को ऐसा दुख न सहना पड़े।