भैरव आरती एक अत्यंत प्रभावशाली और शक्तिशाली आरती है, जो भगवान भैरव के प्रति श्रद्धा और भक्ति व्यक्त करने का एक अद्भुत तरीका है। भगवान भैरव, जिन्हें शंकर जी के उग्र रूप के रूप में पूजा जाता है, का नाम सुनते ही एक वीरता और शक्ति का अहसास होता है। उनकी पूजा विशेष रूप से शांति, सुरक्षा और नकारात्मक शक्तियों से मुक्ति पाने के लिए की जाती है। भैरव आरती में भगवान भैरव की महिमा का गान किया जाता है और उनकी कृपा प्राप्ति के लिए प्रार्थना की जाती है। यह आरती न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक शांति भी प्रदान करती है और भक्तों को आत्मविश्वास और साहस से भर देती है।
॥ श्री भैरव देव जी आरती ॥
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैरव देवा ।
जय काली और गौर देवी कृत सेवा ,
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम्ही पाप उद्धारक दुःख सिन्धु तारक ।
भक्तो के सुख कारक भीषण वपु धारक ,
॥ जय भैरव देवा…॥
वाहन श्वान विराजत कर त्रिशूल धारी ।
महिमा अमित तुम्हारी जय जय भयहारी,
॥ जय भैरव देवा…॥
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होवे ।
चौमुख दीपक दर्शन दुःख खोवे ,
॥ जय भैरव देवा…॥
तेल चटकी दधि मिश्रित भाषावाली तेरी ।
कृपा कीजिये भैरव, करिए नहीं देरी ,
॥ जय भैरव देवा…॥
पाँव घुँघरू बाजत अरु डमरू दम्कावत ।
बटुकनाथ बन बालक जल मन हरषावत ,
॥ जय भैरव देवा…॥
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावे ।
कहे धरनी धर नर मनवांछित फल पावे,
॥ जय भैरव देवा…॥
भैरव आरती के माध्यम से हम भगवान भैरव की शक्ति और आशीर्वाद का अनुभव करते हैं। यह आरती न केवल हमारी आस्था को प्रगाढ़ करती है, बल्कि हमारे जीवन में आने वाली कठिनाइयों से लड़ने की शक्ति भी प्रदान करती है। भैरव जी के आशीर्वाद से हमें हर प्रकार की बाधाओं से मुक्ति मिलती है और हमारे जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। इस आरती के जाप से हम अपने मन को शुद्ध कर, भगवान भैरव के दिव्य आशीर्वाद से अपने जीवन को खुशहाल बना सकते हैं।