“ब्रह्मा जी की आरती” एक ऐसी भक्ति धारा है, जो भगवान ब्रह्मा की पूजा अर्चना से जुड़ी हुई है। ब्रह्मा जी को सृष्टि के रचनाकार के रूप में पूजा जाता है, और उनकी आरती में उनकी महिमा, शक्ति और सृजनात्मकता का गुणगान किया जाता है। यह आरती हमें जीवन के नये आयामों को समझने, ब्रह्मा जी की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन को दिशा देने का एक सुंदर तरीका है। हर शब्द में ब्रह्मा जी की असीम शक्ति और सृजन की शक्ति का आभास होता है, जो हमें जीवन में शांति और समृद्धि की ओर मार्गदर्शन करता है।
ब्रह्मा जी की आरती
पितु मातु सहायक स्वामी सखा ,
तुम ही एक नाथ हमारे हो॥
जिनके कुछ और आधार नहीं ,
तिनके तुम ही रखवारे हो॥
सब भॉति सदा सुखदायक हो ,
दुख निर्गुण नाशन हरे हो ॥
प्रतिपाल करे सारे जग को,
अतिशय करुणा उर धारे हो ॥
भूल गये हैं हम तो तुमको ,
तुम तो हमरी सुधि नहिं बिसारे हो ॥
उपकारन को कछु अंत नहीं,
छिन्न ही छिन्न जो विस्तारे हो ॥
महाराज महा महिमा तुम्हारी,
मुझसे विरले बुधवारे हो ॥
शुभ शांति निकेतन प्रेम निधि ,
मन मंदिर के उजियारे हो॥
इस जीवन के तुम ही जीवन हो ,
इन प्राणण के तुम प्यारे हो में ॥
तुम सों प्रभु पये कमल हरि,
केहि के अब और सहारे हो ॥
॥ इति श्री ब्रह्मा आरती ॥
“ब्रह्मा जी की आरती” का पाठ न केवल भगवान ब्रह्मा के प्रति श्रद्धा और भक्ति को बढ़ाता है, बल्कि यह हमें अपने जीवन को सकारात्मक दिशा में मोड़ने की प्रेरणा भी देता है। इस आरती के माध्यम से हम ब्रह्मा जी से आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं, जिससे हमारे जीवन में सुख-शांति, रचनात्मकता और उन्नति आए। इसे श्रद्धा और विश्वास के साथ पाठ करना हमारे आत्मिक कल्याण के लिए अत्यंत लाभकारी है। ब्रह्मा जी की आरती हमें सिखाती है कि सृजन और विनाश के बीच संतुलन बनाए रखना ही जीवन का सही मार्ग है।