शनि देव को न्याय के देवता और कर्मफलदाता कहा जाता है। उनकी पूजा से न केवल जीवन की बाधाएं दूर होती हैं, बल्कि भाग्य भी चमक उठता है। शनि आरती, शनि देव को प्रसन्न करने का सबसे सशक्त माध्यम मानी जाती है। इस आरती के माध्यम से शनि देव का आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है, जो जीवन में शांति, समृद्धि और सुख-शांति लाता है। अगर शनि की साढ़ेसाती या ढैया का प्रभाव चल रहा हो, तो नियमित रूप से शनि आरती करने से अद्भुत लाभ मिलता है।
शनि आरती
जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी ।
सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी ,
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
श्याम अंक वक्र दृष्ट चतुर्भुजा धारी ।
नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी,
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी ।
मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी ,
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
मोदक मिष्ठान पान चढ़त हैं सुपारी ।
लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी ,
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी ।
विश्वनाथ धरत ध्यान शरण हैं तुम्हारी ,
॥ जय जय श्री शनिदेव..॥
शनि देव की कृपा पाने के लिए सच्चे मन से आराधना और आरती करना बेहद फलदायक होता है। उनकी आरती हमें यह सिखाती है कि अच्छे कर्म ही हमारे जीवन को सुंदर बनाते हैं। इसलिए शनि आरती के माध्यम से हम न केवल शनि देव का आशीर्वाद पा सकते हैं, बल्कि अपने जीवन को भी संतुलित और सकारात्मक बना सकते हैं। शनि देव की आराधना से आप पर हमेशा उनकी कृपा बनी रहे, यही हमारी शुभकामना है। जय शनि देव!