जगन्नाथ जी की आरती भगवान जगन्नाथ की महिमा और उनकी अनंत कृपा का गान है। यह आरती श्रद्धालुओं के लिए एक ऐसा माध्यम है, जिसके द्वारा वे भगवान से जुड़ाव महसूस करते हैं। भगवान जगन्नाथ, जो विष्णु के अवतार माने जाते हैं, अपने भक्तों के कष्ट हरने वाले और सुख-संपत्ति प्रदान करने वाले हैं। उनकी आरती का गायन मन को शांति, आत्मा को सुकून और जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देता है।
जगन्नाथ जी की आरती
आरती श्री जगन्नाथ मंगलकारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी॥
मंगलकारी नाथ आपादा हरि,
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी॥
अगर कपूर बाटी भव से धारी ,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
घर घरन बजता बाजे बंसुरी ॥
घर घरन बजता बाजे बंसुरी,
झांझ या मृदंग बाजे,ताल खनजरी ॥
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी ,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी ॥
निरखत मुखारविंद परसोत चरनारविन्द आपादा हरि ,
जगन्नाथ स्वामी के अताको चढे वेद की धुवानी ॥
जगन्नाथ स्वामी के भोग लागो बैकुंठपुरी ,
आरती श्री जगन्नाथ मंगलकारी ,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी ॥
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी ,
इंद्र दमन सिंह गजे रोहिणी खड़ी ॥
मार्कंडेय स्व गंगा आनंद भरि ,
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी ॥
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी ॥
सरनार मुनि द्वारे तदे ब्रह्म वेद भानी ,
धन धन ओह सुर स्वामी आनंद गढ़ी ॥
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी ,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी ॥
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी ,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी,
मंगलकारी नाथ आपादा हरि ॥
कंचन को धुप दीप ज्योत जगमगी,
अगर कपूर बाटी भव से धारी ॥
आरती श्री जगन्नाथ मंगल कारी ,
आरती श्री बैकुंठ मंगलकारी ॥
जगन्नाथ जी की आरती केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि भक्त और भगवान के बीच का एक गहरा आध्यात्मिक संवाद है। इसे गाकर, न केवल हम अपनी आस्था को मजबूत करते हैं, बल्कि भगवान जगन्नाथ की असीम कृपा का अनुभव भी करते हैं। उनकी आरती के शब्दों में छुपी भक्ति हमें यह याद दिलाती है कि हर संकट के समय भगवान हमारे साथ खड़े हैं। आइए, उनकी आरती को अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाकर अपने जीवन को धन्य करें।