श्री कुबेर जी की आरती एक अद्भुत और पवित्र भक्ति गीत है, जो धन, समृद्धि और सुख-समृद्धि के देवता श्री कुबेर जी की महिमा का गुणगान करती है। कुबेर जी को धन्य देवता माना जाता है, जो न केवल सम्पत्ति के स्वामी हैं, बल्कि जीवन में स्थिरता और खुशहाली लाने के लिए भी पूजे जाते हैं। यह आरती भक्तों को उनकी मेहनत के परिणामस्वरूप सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति के मार्ग पर प्रेरित करती है। “श्री कुबेर जी की आरती” का पाठ करने से घर में समृद्धि का वास होता है और मनुष्य की आर्थिक स्थिति में सुधार आता है। इस आरती में श्री कुबेर के प्रति असीम श्रद्धा और भक्ति का भाव प्रकट होता है, जो हर भक्त के दिल में उनके प्रति आस्था को और मजबूत करता है।
श्री कुबेर जी की आरती
॥ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
स्वामी जय यक्ष जय यक्ष कुबेर हरे,
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े॥
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे॥
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे॥
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करे॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने॥
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने॥
॥ ॐ जय यक्ष कुबेर हरे…॥
यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे॥
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे॥
॥समाप्त॥
“श्री कुबेर जी की आरती” एक ऐसा पवित्र और शक्तिशाली साधना मंत्र है, जो धन और समृद्धि की प्राप्ति के लिए एक संजीवनी रूप में कार्य करता है। इस आरती के पाठ से न केवल भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है, बल्कि मानसिक शांति और संतोष भी मिलता है। जब हम श्री कुबेर जी की आरती को समर्पण और श्रद्धा के साथ गाते हैं, तो उनका आशीर्वाद हमें हर क्षेत्र में सफलता और समृद्धि की ओर अग्रसर करता है। आइए, हम सभी इस आरती का नियमित रूप से पाठ करें और जीवन में कुबेर जी के आशीर्वाद से खुशहाली और समृद्धि का अनुभव करें।