Shailputri Mata Aarti | शैलपुत्री माता की आरती

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शैलपुत्री माता, नवदुर्गा के पहले स्वरूप के रूप में पूजित हैं। यह पर्वतराज हिमालय की पुत्री हैं और इन्हें शुद्धता, शक्ति और भक्ति का प्रतीक माना जाता है। नवरात्रि के पहले दिन इनकी आराधना से जीवन में शांति, सकारात्मक ऊर्जा और सुख-समृद्धि का आगमन होता है। शैलपुत्री माता की आरती गाकर भक्त अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हैं और उनका आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। इस आरती में माता की महिमा का गान किया जाता है, जो मन को शांति और आत्मा को बल प्रदान करता है।

शैलपुत्री माता की आरती

शैलपुत्री मां बैल असवार…
करें देवता जय जयकार ॥

शिव शंकर की प्रिय भवानी…
तेरी महिमा किसी ने ना जानी ॥

पार्वती तू उमा कहलावे…
जो तुझे सिमरे सो सुख पावे ॥

ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू…
दया करे धनवान करे तू ॥

सोमवार को शिव संग प्यारी…
आरती तेरी जिसने उतारी ॥

उसकी सगरी आस पुजा दो…
सगरे दुख तकलीफ मिला दो ॥

घी का सुंदर दीप जला के…
गोला गरी का भोग लगा के ॥

श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं…
प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं ॥

जय गिरिराज किशोरी अंबे…
शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे ॥

मनोकामना पूर्ण कर दो…
भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो ॥

शैलपुत्री माता की आरती न केवल भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है, बल्कि हमें हमारे कर्मों में दृढ़ता और विचारों में पवित्रता की शिक्षा भी देती है। उनकी आराधना से हमें साहस, धैर्य और नई ऊर्जा मिलती है। इस आरती को गाने से मन का हर भय दूर हो जाता है और जीवन में नई उमंग का संचार होता है। तो आइए, श्रद्धा और विश्वास के साथ माता शैलपुत्री की आरती करें और उनके आशीर्वाद से अपना जीवन धन्य बनाएं। जय माता दी!

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