कर्तवीर्य अर्जुन, जो भारतीय महाकाव्य महाभारत और पुराणों में एक प्रसिद्ध योद्धा और सम्राट के रूप में चित्रित होते हैं, अपनी अद्भुत शक्ति और साहस के लिए प्रसिद्ध थे। उन्हें “सहस्त्रार्जुन” भी कहा जाता था, क्योंकि उनके पास हजारों हाथों वाली एक दिव्य शक्ति थी। कर्तवीर्य अर्जुन के बारे में कई रोचक और रहस्यमय कथाएँ प्रचलित हैं, जो उनकी वीरता और महानता को दर्शाती हैं। वे एक ऐसे नायक थे, जिन्होंने अपनी कड़ी मेहनत, नैतिकता और वीरता से अपने राज्य और समाज को महानता की ऊँचाइयों तक पहुँचाया।
कार्तवीर्य अर्जुन
कार्तवीर्यार्जुनॊनाम राजाबाहुसहस्रवान् ।
तस्यस्मरण मात्रॆण गतम् नष्टम् च लभ्यतॆ ॥
कार्तवीर्यह:खलद्वॆशीकृत वीर्यॊसुतॊबली।
सहस्र बाहु:शत्रुघ्नॊ रक्तवास धनुर्धर: ॥
रक्तगन्थॊ रक्तमाल्यॊ राजास्मर्तुरभीश्टद:.
द्वादशैतानि नामानि कातवीर्यस्य य: पठॆत् ॥
सम्पदस्तत्र जायन्तॆ जनस्तत्रवशन्गतह:,
आनयत्याशु दूर्स्थम् क्षॆम लाभयुतम् प्रियम् ॥
सहस्रबाहुम् महितम् सशरम् सचापम्।
रक्ताम्बरम् विविध रक्तकिरीट भूषम् ॥
चॊरादि दुष्ट भयनाशन मिश्टदन्तम्।
ध्यायॆनामहाबलविजृम्भित कार्तवीर्यम् ॥
यस्य स्मरण मात्रॆण सर्वदु:खक्षयॊ भवॆत्।
यन्नामानि महावीरस्चार्जुनह:कृतवीर्यवान्॥
हैहयाधिपतॆ: स्तॊत्रम् सहस्रावृत्तिकारितम्।
वाचितार्थप्रदम् नृणम् स्वराज्यम् सुक्रुतम् यदि ॥
॥ इति श्री कार्तवीर्यार्जुन स्त्रोत द्वादश नामस्तॊत्रम् सम्पूर्णम्॥
कर्तवीर्य अर्जुन का जीवन और उनकी कथा हमें यह सिखाती है कि असाधारण शक्तियाँ और सफलता केवल बाहरी ताकतों से नहीं, बल्कि एक सच्चे और निष्ठावान दिल से प्राप्त होती हैं। उनका साहस, समर्पण और न्याय के प्रति उनकी निष्ठा आज भी हमें प्रेरणा देती है। उनकी जीवनगाथाएँ हमें यह समझाने में मदद करती हैं कि यदि मन में दृढ़ निश्चय हो और सही मार्ग पर चलने का विश्वास हो, तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।