गणेश चतुर्थी, भगवान गणेश को समर्पित एक ऐसा पर्व है, जो हर साल भक्ति, उल्लास और आध्यात्मिकता से भरा होता है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है, क्योंकि वे विघ्नहर्ता और बुद्धि, ज्ञान, समृद्धि के प्रतीक माने जाते हैं। गणेश चतुर्थी पर मंत्र जाप का विशेष महत्व है। यह मंत्र न केवल हमारे मन को शांति और स्थिरता प्रदान करता है, बल्कि जीवन में आने वाली बाधाओं को दूर करने में भी मदद करता है। “ॐ गण गणपतये नमः” और “वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ” जैसे मंत्रों का जाप करने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और भक्तों को भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
इस पावन अवसर पर मंत्रों का उच्चारण सही भाव और श्रद्धा के साथ करने से, यह न केवल भौतिक सुख-सुविधाओं को बढ़ाता है बल्कि आत्मिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति भी देता है। आइए, इस गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश के मंत्रों की शक्ति को समझें और उनके माध्यम से अपने जीवन को नई दिशा दें।
पहला मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा ॥
दूसरा मंत्र
ऊँ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ती प्रचोदयात्॥
तीसरा मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः।
चौथा मंत्र
ॐ गणेश ऋणं छिन्धि वरेण्यं हुं नमः फट
गणेश चतुर्थी पर मंत्र जाप न केवल एक धार्मिक क्रिया है, बल्कि यह हमारी आत्मा को उर्जा और शांति से भरने का एक मार्ग है। भगवान गणेश का आशीर्वाद पाने के लिए मंत्रों का सही उच्चारण और उन्हें श्रद्धा से दोहराना अनिवार्य है। चाहे आप जीवन में किसी भी समस्या का सामना कर रहे हों, गणेश मंत्र आपको सही दिशा दिखाने और बाधाओं को दूर करने की शक्ति देता है।
आइए, इस गणेश चतुर्थी पर संकल्प लें कि हम न केवल भगवान गणेश की भक्ति में लीन रहेंगे, बल्कि उनके मंत्रों का नियमित जाप करके अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर देंगे। गणपति बप्पा की कृपा से आपके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहे।