वाराणसी में देव दीपावली:गंगा घाटों पर उतरा देवलोक, दैवीय आभा से जगमगाई काशी

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वाराणसी, जिसे काशी और बनारस के नाम से भी जाना जाता है, हर साल देव दीपावली पर दैवीय प्रकाश और आध्यात्मिक ऊर्जा से भर उठती है। इस वर्ष भी गंगा के पवित्र घाटों पर देवताओं के स्वागत के लिए दीपों की अनगिनत कतारें सजाई गईं, जिससे ऐसा प्रतीत हुआ मानो स्वर्ग स्वयं धरती पर उतर आया हो।

देव दीपावली का पर्व, कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है, जिसे देवताओं के जागने का प्रतीक माना जाता है। वाराणसी में इस दिन गंगा घाटों पर लाखों दीप प्रज्वलित किए जाते हैं। इस अवसर पर गंगा आरती और भजन-कीर्तन का आयोजन होता है, जिसमें श्रद्धालु बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। दीपों की झिलमिलाहट और गंगा की लहरों पर उनका प्रतिबिंब, एक अद्वितीय दृश्य उत्पन्न करता है, जो हर किसी के मन को मोह लेता है।

इस साल की देव दीपावली ने भी लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित किया। अस्सी घाट से लेकर राजघाट तक, हर घाट पर दीपों का उत्सव मनाया गया। मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना हुई, और शहर भर में धार्मिक गीतों की गूंज सुनाई दी। इस भव्य आयोजन में स्थानीय लोगों के साथ-साथ विदेशी पर्यटक भी शामिल हुए, जिन्होंने इस अलौकिक दृश्य को अपने कैमरों में कैद किया।

देव दीपावली न केवल काशी की सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत बनाती है, बल्कि यह प्रकृति और आध्यात्मिकता का संगम भी प्रस्तुत करती है। इस दिन का हर क्षण, श्रद्धा, भक्ति और आनंद का प्रतीक है। वाराणसी की यह परंपरा सदियों से चली आ रही है और आने वाले समय में भी इसे इसी भव्यता के साथ मनाया जाएगा।

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