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विशेष नौकायन अभियान 2024 का शुभारंभ: “भारतीय नदियाँ, संस्कृति की जननी”

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भारत की सांस्कृतिक धरोहर को नदियों के महत्व के माध्यम से प्रस्तुत करने वाले विशेष नौकायन अभियान 2024 का दूसरा चरण प्रयागराज से शुरू हुआ। मेजर जनरल चीमा, एडीजी पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ एनसीसी, ने बुधवार को इस चरण का शुभारंभ किया और इस अवसर पर उपस्थित सभी एनसीसी कैडेट्स को अपने संदेश में जल संरक्षण और नदियों के महत्व को समझने और उन्हें सहेजने की प्रेरणा दी। अभियान का समापन 11 नवंबर को वाराणसी में होगा, और इसकी पूर्ण समाप्ति 28 जनवरी 2025 को माननीय प्रधानमंत्री द्वारा एक भव्य समारोह में की जाएगी।

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इस अभियान का उद्देश्य भारतीय नदियों की महत्ता को उजागर करते हुए देश के विभिन्न हिस्सों में गंगा नदी के तट पर बसे क्षेत्रों तक पहुँचाना है। मुख्यालय डीएनसीसी के तत्वावधान में आयोजित इस नौकायन अभियान में कैडेट्स का उत्साह और सहभागिता देखने योग्य है।

अभियान की संरचना

विशेष नौकायन अभियान 2024 को दो चरणों में बाँटा गया है। इसका पहला चरण कानपुर से प्रारंभ हुआ था, और अब दूसरा चरण प्रयागराज से आरंभ होकर वाराणसी, बक्सर, पटना, फरक्का होते हुए 20 दिसंबर 2024 को कोलकाता में समाप्त होगा। इस पूरे अभियान के दौरान पुरुष और महिला कैडेट्स समान रूप से शामिल हैं, जो कि सामूहिकता और लैंगिक समानता का प्रतीक है। मेजर जनरल चीमा ने कैडेट्स को नदियों की चुनौतियों से अवगत कराते हुए उन्हें जल संसाधनों के संरक्षण का संदेश फैलाने हेतु प्रोत्साहित किया।

सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से संस्कृति की झलक

इस अवसर पर कार्यक्रम की शुरुआत पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ एनसीसी द्वारा किए गए भंगड़ा प्रदर्शन से हुई, जिसने माहौल में उल्लास भर दिया। इसके बाद कैडेट्स ने एक सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया जिसमें अर्ध-शास्त्रीय नृत्य के माध्यम से भारतीय सांस्कृतिक विरासत की झलक दी गई। राजस्थान एनसीसी ग्रुप ने अपने घूमर नृत्य से राजस्थानी लोक कला का परिचय कराया।

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अभियान का महत्व

यह नौकायन अभियान भारतीय नदियों के संरक्षण के साथ-साथ विभिन्न संस्कृतियों की जीवंतता को प्रस्तुत करने का एक सार्थक प्रयास है। यह अभियान न केवल जल संरक्षण का संदेश फैलाता है बल्कि भारतीय संस्कृति की विभिन्नता और समृद्धि को भी उजागर करता है।

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