
रामनगर: बलुआघाट पर शासन के आदेश के बाद घाट पर बने गुंबद को हटाने का कार्य मंगलवार से शुरू हो गया है। यह कार्य 12 सितंबर को घाट पर एक हादसे के बाद सामने आए प्रशासनिक लापरवाही के परिणामस्वरूप किया जा रहा है। उस दिन घाट पर बन रही पालकी का छत गिर जाने से 57 वर्षीय मजदूर मेघवाल की मौके पर ही मौत हो गई थी। इस घटना ने घाट निर्माण कार्य में हो रही अनियमितताओं और घटिया सामग्री के उपयोग की पोल खोल दी थी।
घटना के बाद लगातार आरोप लगाए जा रहे थे कि घाट निर्माण में इस्तेमाल की जा रही सामग्री बेहद निम्न गुणवत्ता की है। क्षेत्र के लोगों द्वारा इस संबंध में कई बार शिकायतें भी की गईं थीं, लेकिन स्थानीय अधिकारियों ने इस पर ध्यान नहीं दिया। जब तक प्रशासन ने इस मामले को गंभीरता से लिया, तब तक एक दुखद हादसा हो चुका था।
12 सितंबर की इस घटना के बाद मुख्यमंत्री ने इस मामले का संज्ञान लिया और घाट पर बने दो अतिरिक्त गुंबदों को हटाने के आदेश जारी किए। इसके पीछे तर्क यह था कि ये गुंबद निर्माण की खराब गुणवत्ता के कारण भविष्य में किसी और अनहोनी का कारण बन सकते थे। मंगलवार से इन गुंबदों को हटाने का कार्य आरंभ हो गया है।
घाट निर्माण में लापरवाही और घटिया सामग्री के उपयोग को लेकर अब तक कई सवाल उठ चुके हैं। स्थानीय लोग इस बात से नाराज हैं कि उनकी शिकायतों को समय रहते क्यों नहीं सुना गया। उन्होंने अधिकारियों पर लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं।
फिलहाल, प्रशासन ने घाट निर्माण में हो रही खामियों की जांच शुरू कर दी है और यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया जा रहा है कि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों।