सीएम योगी ने 15 दिन में 57 रैली और रोड शो किए~~~
राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा की चुनाव जीत में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता का भी जादू चला। तीनों राज्यों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद सर्वाधिक मांग सीएम योगी की रैली और रोड की रही। योगी ने नवंबर महीने में महज 15 दिन में 92 प्रत्याशियों के समर्थन में 57, रैलियां और रोड शो किए। योगी जहां, जहां गए उनमें से अधिकांश सीटों पर भाजपा का परचम फहरा है। चुनाव परिणाम से भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में योगी का कद बढ़ा है।
आध्यात्मिक संत, सख्त प्रशासक और लोकप्रिय मुख्यमंत्री के रूप में योगी की देश में बड़ी लोकप्रियता है। चार राज्यों में योगी के रोड शो और रैलियों की मांग जगह जगह से रही। सीएम योगी ने नवंबर से चुनाव प्रचार शुरू किया था। तेलंगाना में दो दिन में 8 रैली कर 15 प्रत्याशियों के लिए मत एवं समर्थन मांगा। छत्तीसगढ़ में दो दिन में 9 प्रत्याशियों के लिए 7 रैली की। मध्य प्रदेश में 4 दिन 16 रैली क 29 प्रत्याशी के लिए वोट मांगे। राजस्थान में 7 दिन में 26 रैली कर 39 प्रत्याशियों को जिताने की अपील की।
राजस्थान में सीएम योगी ने अलवर जिले की तिजारा सीट से पार्टी प्रत्याशी बालकनाथ के नामांकन सभा से चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत की। बुलडोजर बाबा की छवि को देखते हुए उनकी सभाओं में बुलडोजर से ही प्रवेश द्वार तक बनाए गए। तेलंगाना में भी सीएम योगी का रोड शो में भी जनसैलाब उमड़ा था। एमंपी और छत्तीसगढ़ में भी यूपी के बाबा के नाम की धूम रही।
राजनीति के साथ रामकाज भी
चुनाव प्रचार के साथ रामनगरी अयोध्या में भी प्रवास किया। वहां कैबिनेट बैठक के साथ दीपोत्सव और गोरखपुर में दीपावली समेत अन्य कार्यक्रमों में भी शिरकत की। हर रैली में पहुंचने के बावजूद प्रतिदिन उत्तर प्रदेश की जनता से जुड़े कार्यों की समीक्षा करते रहे।
दोनों राज्यों के चुनाव प्रबंधन की कमान यूपी के नेताओं के हाथ रही
मध्यप्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत में यूपी भाजपा के दिग्गज नेताओं ने अपना दम दिखाया है। दोनों प्रदेशों में चुनाव प्रबंधन की कमान प्रदेश के भाजपा नेताओं के हाथ थी। वहीं यूपी के नेताओं, मंत्रियों को जिस जिस जिले या संभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई वहां उनके राजनीतिक कौशल का असर दिखा। मध्यप्रदेश और राजस्थान विधानसभा चुनाव में योगी सरकार के मंत्री, पार्टी के प्रदेश पदाधिकारी, राष्ट्रीय पदाधिकारी और विधायकों की लंबी टीम तैनात की गई थी। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी, केशव प्रसाद मौर्य और स्वतंत्र देव सिंह को भी एमपी चुनाव कार्य में लगाया गया।
उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने राजस्थान और एमपी में करीब 15 जिलों में चुनाव प्रचार किया। अधिकांश जिलों में चुनाव परिणाम पार्टी के पक्ष में रहे हैं। उप मुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के पास भोपाल जिले की सात सीटों की कमान थी। सात में से पांच सीटों पर पार्टी जीती है। पाठक ने सागर, दतिया, हरदा, टीकमगढ़, सीधी, सींगरौली, बेतूल में भी करीब 30 सीटों पर चुनाव प्रचार किया।
जलशक्ति मंत्री स्वतंत्र देव सिंह के पास कुर्मी बहुल सतना जिले की सात सीटों की जिम्मेदारी थी। पीएम मोदी की रैली भी कराई। जिले की सात में से छह सीटों पर भाजपा का परचम फरहा है। पूर्व जलशक्ति मंत्री एवं एमएलसी महेंद्र सिंह को राजस्थान के अजमेर संभाग का प्रभारी नियुक्त किया था। 2018 में अजमेर संभाग की 29 में से 12 सीटें भाजपा के पास थी। इस बार भाजपा ने 22 सीटें जीती हैं। प्रदेश में भाजपा को मिली कुल सीटों में से 20 प्रतिशत सीटें महेंद्र सिंह के क्षेत्र में मिली है।
पूर्व उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा शर्मा को एमपी में हरदा और इटारसी की चार सीटों का प्रभारी नियुक्त किया था। चारों सीटों पर भाजपा की जीत हुई है। भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष पंकज सिंह के पास एमपी के विदिशा जिले की जिम्मेदारी थी। विदिशा में पहले भाजपा दो सीटों पर चुनाव हारी थी। इस बार सभी पांच सीटें पार्टी ने कब्जा जमाया है। पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय उपाध्यक्ष लक्ष्मीकांत बाजपेयी के पास रींवा संभाग की 22 सीटों की जिम्मेदारी थी। रींवा में भाजपा को 18 सीटों पर जीत मिली है। परिवहन राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार दयाशंकर सिंह एमपी के बालाघाट में प्रभारी थे। वहां छह में से चार सीटों पर पार्टी जीती है। उसके बाद उन्हें राजस्थान के अलवर की जिम्मेदारी दी गई। अलवर में भी पार्टी चुनाव जीती है।
कुशल रणनीति और मजबूत चुनाव प्रबंधन कारगर रहा
मध्यप्रदेश में भाजपा के चुनाव प्रबंधन की कमान प्रदेश सरकार के सहकारिता राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार जेपीएस राठौर के हाथ रही। राठौर के पास भोपाल संभाग की 25 विधानसभा सीटों की भी जिम्मेदारी थी। 25 में से 22 सीटों पर भाजपा ने चुनाव जीता है। राठौर राठौर बताते हैं कि शुरुआत दौर में मध्यप्रदेश में जो माहौल बना था उसे बदलने के लिए केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के नेतृत्व में पार्टी ने कुशल रणनीति बनाई। उन्होंने बताया कि बड़े नेताओं को चुनाव लड़ाने का निर्णय सही साबित हुआ। वहीं शिवराज सिंह चौहान सरकार की लाडली बहना योजना महिलाओं में काफी असरदार रही। एमपी में बूथ से लेकर चुनाव प्रबंधन की मजबूत योजना बनाई गई। पार्टी के राष्ट्रवाद के आगे सनातन का विरोध करना भी कांग्रेस को भारी पड़ा।
कांग्रेस के खिलाफ माहौल में सफल रहे
भाजपा के प्रदेश महामंत्री एवं एमएलसी गोविंद नारायण शुक्ला के पास राजस्थान में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी थी। शुक्ला बताते हैं कि यूपी विधानसभा चुनाव की तर्ज पर राजस्थान में प्रचार किया गया। पार्टी ने तय रणनीति के तहत कांग्रेस की अशोक गहलोत सरकार के कुशासन, जन विरोधी निर्णयों के तहत जनता के बीच माहौल बनाया। शुक्ला बताते हैं कि राजस्थान में संगठन एकजुट होकर चुनाव लड़ा। पीएम मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और सीएम योगी की रैलियों ने वहां माहौल भाजपा के पक्ष में किया।
मीडिया प्रबंधन में राकेश त्रिपाठी का कद बढ़ा
एमपी विधानसभा चुनाव में मीडिया प्रबंधन की जिम्मेदारी पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राकेश त्रिपाठी को दी गई थी। त्रिपाठी बताते हैं कांग्रेस के अंतर्कलह को पार्टी ने जनता के बीच उजागर किया। एमएपी के मन में हैं मोदी अभियान से माहौल बनाया।